दरभंगा । दरभंगा एयरपोर्ट से फ्लाइटों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अभी तक स्पाइस जेट के विमान उड़ रहे थे। अगले महीने से इंडिगो के विमान भी उड़ान भरेंगे, लेकिन यहां सुविधाएं नहीं बढ़ाई जा रहीं। बैठने के लिए सीमित एरिया, पार्किंग का अभाव और एक छोटी सी कैंटीन यात्रियों को खटकती है। बुजुर्ग, बीमार व बच्चों के लिए व्यवस्था नहीं है। परिसर के आसपास नीलगाय और जंगली सुअरों की अच्छी-खासी संख्या है। कई बार ये रनवे तक आ जाते हैं।
दरभंगा एयरपोर्ट की शुरुआत बीते साल नवंबर में हुई थी। पहले दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु के लिए सेवा थी। मार्च, 2021 से कोलकाता, पुणे, अहमदाबाद और हैदराबाद के लिए विमानों ने उड़ान भरना शुरू किया। कोरोना काल में एयर एंबुलेंस भी यहां से गई। नवंबर में 24 हजार 833, दिसंबर में 26 हजार 318, जनवरी में 20 हजार 420, फरवरी में 35 हजार 888, मार्च में 45 हजार 773, अप्रैल में 42 हजार 35 और मई में 30 हजार 155 यात्री यहां से आ-जा चुके हैं। रविवार को ही यहां 1500 यात्री आए और गए। इसके बावजूद यात्रियों के टर्मिनल तक पहुंचने के लिए बेहतर प्रवेश द्वार और सड़क की कमी है। वर्तमान में इस्तेमाल हो रहा वायुसेना का गेट संकरा है। वहां से 200 मीटर लंबी सड़क टर्मिनल तक जाती है। कोई साधन नहीं होने से यात्रियों को सामान के साथ धूप व गर्मी में वहां तक पैदल जाना पड़ता है। बरसात में और परेशानी होगी। इस साल अप्रैल में एयरफोर्स ने सुझाव दिया था कि वायु सेना परिसर के गेट से टर्मिनल तक शेड का निर्माण जरूरी है, बावजूद पहल नहीं की गई। कपड़ा व्यवसायी चिरंजीवी मिश्रा बताते हैं कि टर्मिनल को सीधे एनएच से जोडऩे वाले चौराहे के साथ दो लेन वाली सड़क बनानी चाहिए। एंट्री को चौड़ा कर सुगम बनाना चाहिए।
एयरफोर्स की जमीन पर हो रहा संचालन
अभी एयरपोर्ट का संचालन एयरफोर्स की जमीन पर हो रहा है। एयरपोर्ट प्रबंधन यात्री सुविधाओं के नहीं बढऩे का कारण अस्थायी टॢमनल का होना मानता है। प्रभारी जिला भू-अर्जन पदाधिकारी अजय कुमार बताते हैं कि नए टर्मिनल के निर्माण को एयरपोर्ट के पास 54 एकड़ व रनवे के लिए 24 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना है। भूमि चिह्नित की जा चुकी है। दो महीने पहले एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की टीम जमीन का मुआयना कर चुकी है। एयरफोर्स अधिकारियों को भी अवगत कराया गया है। वहां से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट का इंतजार है।
पश्चिम बंगाल की टीम हटाएगी नीलगाय व जंगली सूअर
एयरपोर्ट के आसपास जंगल और झाड़ी होने से यहां करीब 200 नीलगाय और 100 सूअर हैं। ये जानवर कभी-कभी रनवे तक आ जाते हैं। इससे लैंडिंग व टेकऑफ में बाधा आती है। इन्हें हटाने के लिए राज्य सरकार करीब 1.40 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसके लिए हाल में पश्चिम बंगाल के एयरपोर्ट से जानवरों को हटाने वाली टीम काम करेगी। प्रमंडलीय वन पदाधिकारी चंचल प्रकाशम बताते हैं कि पश्चिम बंगाल के एक्सपर्ट व वन विभाग की टीम जानवरों को हटाएगी। उन्हें पकड़कर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा। साथ ही यहां चेन लिंक्ड फेंसिंग की जाएगी। कोरोना संक्रमण के कारण टीम अभी तक नहीं आ सकी है। संपर्क किया गया है। शीघ्र ही काम शुरू होगा।
