पटना । जम्मू-कश्मीर के पुलवामा इलाके में गुरुवार की शाम आतंकियों ने सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हमला कर दिया था, जिसमें कुल 44 जवान शहीद हो गए। बिहार के दो सपूत भी इस हमले में शहीद हो गए हैं। बिहार के दोनों सपूतों में से एक पटना के तारेगना निवासी हेड कांस्टेबल संजय कुमार सिन्हा और दूसरा भागलपुर के कहलगांव निवासी रतन कुमार ठाकुर शामिल थे।
दोनों शहीदों का पार्थिव शरीर शनिवार की सुबह पटना पहुंचा। भारी सुरक्षा के बीच पहले जम्मू कश्मीर से पार्थिव शरीर को दिल्ली लाया गया था।
भागलपुर के शहीद रतन ठाकुर मूल रूप से कहलगांव के आमंडंडा थाना के रतनपुर गांव का रहने वाले थे। घर में पत्नी राजनंदिनी देवी और चार साल का बेटा कृष्णा है। राजनंदिनी फिर से मां बनने वाली हैं। रतन ठाकुर हर शाम पत्नी को फोन करते थे। पिता निरंजन कुमार ठाकुर ने कहा कि शाम को बेटे के फोन का इंतजार हो रहा था। तब तक उधर से सात बजे उसकी शहादत की खबर आई। खबर के सुनते ही पूरे घर में कोहराम मच गया।
वहीं दूसरे शहीद संजय कुमार सिन्हा जो बतौर हेड कांस्टेबल देश की सेवा कर रहे थे, उनकी शहादत की खबर मिलते ही उनके परिवार में भी मातम पसर गया है। पास-पड़ोस के घरों में चूल्हे भी नहीं जले । संजय के पिता महेंद्र प्रसाद सीआरपीएफ की 176वीं बटालियन में तैनात थे।
संजय एक महीने की छुट्टी के बाद आठ फरवरी को ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे। अभी वे कैंप भी नहीं पुहंचे थे कि रास्ते में ही आतंकवादी हमले में शहीद हो गए। घर से जाते वक्त उन्होंने पत्नी बबीता देवी से कहा था कि 15 दिन के बाद छुट्टी लेकर घऱ आऊंगा। घरवालों से संजय ने कहा था कि इस बार छुट्टी में वे बड़ी बेटी रूबी की शादी की बात पक्की कर ही ड्यूटी पर लौटेंगे।
संजय की छोटी बेटी टुन्नी ने भी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली है और बेटा सोनू राजस्थान के कोटा में रहकर मेडिकल परीक्षा की तैयारी कर रहा है। संजय के परिवार के साथ ही उनके माता-पिता भी रहते हैं। संजय मिलनसार स्वभाव के थे और सबकी मदद के लिए खड़े रहते थे। दोनों सपूतों की शहादत की खबर मिलते ही पूरा बिहार शोकाकुल और आक्रोशित है। सोशल मीडिया के माध्यम से लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूछ रहे कि अाप इसका बदला आखिर कब लेंगे?
