मखान की जीआई टैगिंग “मिथिला मखाना” के नाम से होगी। प्रस्ताव स्वीकार किया सबौर कृषि विश्वविद्यालय ने

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न्यूज़ ऑफ मिथिला डेस्क. विगत दिनों में मखान के जीआई टैग संबंध में एक विवाद उत्पन्न हुआ था। मखान की जीआई टैगिंग “बिहार मखाना” के नाम से प्रस्ताव सबौर भागलपुर के कृषि विश्वविद्यालय ने भेजा था। मिथिला क्षेत्र के आम जनमानस में यह मांग उठी की मखान मिथिला का मूल फसल है और इसकी 80% खेती मिथिला क्षेत्र में ही होती है। इसलिए इसका नाम मिथिला मखाना होना चाहिए।

इसके लिए हजारों लोगों एवम् विभिन्न संस्थाओं ने लिखना और आवाज उठाना शुरू किया। धीरे धीरे MSU (मिथिला स्टूडेंट यूनियन) के अनूप मैथिल, आदित्य मोहन और सामाजिक कार्यकर्ता रजनीकांत पाठक समेत अनेकानेक लोगों ने इसे एक सोशल मीडिया कैंपेन के रूप में प्रस्तुत किया। लोग मुखर होकर सोशल मीडिया पर अपनी मांग रखने लगे। यह मिथिला क्षेत्र के पहचान और अस्मिता से जुड़ा मुद्दा बन गया। ट्विटर पर #stopstealingmithilakamakhan देशभर में दूसरे नंबर पर ट्रेंड हुआ। मिथिला क्षेत्र के 17 विधायकों, पूर्व सांसदों समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने विश्वविद्यालय को चिट्ठी लिखी। लेकिन फिर क्षेत्र के ही कुछ नेताओं के तरफ से झोल पेंच लगाना शुरू हुआ। लेकिन तब एक प्रतिनिधिमंडल के रूप में 10 दिन पहले 14 तारीख को अनूप मैथिल, आदित्य मोहन और रजनीकांत पाठक जी ने भागलपुर के सबौर कृषि विश्वविद्यालय की यात्रा की। वहां उन्होंने स्पष्ट मांग रक्खी की मखान की जीअाई टैगिंग मिथिला के नाम पर हो। विश्वविद्यालय के तरफ से डॉक्यूमेंट एविडेंस मांगने पर उन्होंने उपलब्ध करवाया था। अब विश्वविद्यालय ने सूचित किया है की मिथिला की मांग मान ली गई है। उन्होंने अपने जीआई टैग एप्लीकेशन में अमेंडमेंट डाली है की नाम “मिथिला मखाना” रहेगा ( किसी टेक्निकल कारण से मखान के बदले मखाना शब्द इस्तेमाल किया गया है)।

सोशल मीडिया पर जश्न का माहौल है। लोग एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं और जीत के सफ़लता पर खुश हैं।

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