आमलोगों के साथ क्या होता होगा पुलिस का व्यवहार, आज मैंने भी झेला : पत्रकार
बारिश की वजह से भींगी हुई हेलमेट नही फहने रहने पर फाइन देने को तैयार होने के वाबजूद सिपाही ने बनाया पत्रकार की वीडियो।
सवाल: वीडियो कवरेज जब उक्त सिपाही ही करेंगे फ़िर पत्रकार व मीडिया की आवश्यकता क्यों?
पत्रकारिता जैसे चौथें स्तम्भ के साथ पुलिस का अमानवीय व्यवहार क्यों?
संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस जैसी गंभीर बीमारी का सामना कर रहा है ऐसे विकट समय में पत्रकार बिरादरी कोरोना वारियर्स की तरह अपनी जान जोखिम में डालकर अपने दायित्वों का निर्वाह कर रही है। परंतु ऐसे समय में भी संपूर्ण प्रदेश में पत्रकारों के ऊपर पुलिस व प्रशासन की प्रताड़ना के मामले लगातार उजागर हो रहे हैं । दरभंगा जिले के लहेरियासराय से ताज़ा मामला सामने आया है। समाचार संकलन के लिए निकले वॉइस ऑफ दरभंगा नामक चर्चित वेब समाचार पोर्टल के संपादक अभिषेक कुमार के साथ दरभंगा पुलिस द्वारा अमानवीय व्यवहार किया गया। सोशल मीडिया के माध्यम से संपादक अभिषेक कुमार ने दरभंगा पुलिस की पोल खोल दी है। अभिषेक कुमार ने कहा कि “आज मेरा फाइन कटते-कटते रह गया। शाम करीब 5 बजे समाचार संकलन के लिए अपने घर से निकलते ही चट्टी गुमटी के पास डरहार मोड़ के निकट पुलिस द्वारा चेकिंग चलाया जा रहा था। हेलमेट बारिश में भींगने के कारण नही लगाया था। पुलिस ने रोक लिया। गौतम शरण सोनी नामक पदाधिकारी द्वारा चेकिंग कराया जा रहा था। उन्होंने परिचय देने और पास तथा कार्ड दिखाने पर हेलमेट पहन लेने को कहा। हमने कहा कि भींगा था, इसलिए नही पहने थे। हम गाड़ी साइड में लगाकर पैदल जाने की बात भी कहे। पर इतना सुनकर वे तमतमा गए और फाइन काटने को बोले। हम कहे ठीक है सर, यदि मेरी गलती है तो मैं फाइन देने को तैयार हूँ। उन्होंने एक हजार फाइन देने को कहा। मेरे पास उतना कैश नही था।
पर इसमे सबसे बड़ी बात, वहाँ खड़ा एक सिपाही मेरा वीडियो बनाने लगा और सवाल पूछने लगा। मैंने कहा कि मैं अपनी गलती के बदले फाइन देने को तैयार हूँ तो फिर वीडियो क्यों बना रहे हैं।
मैं गाड़ी छोड़ पैदल घर गया और पैसा लाया। पर वे सारा पेपर दिखाने को कहे। पॉल्युशन पेपर नही रहने के कारण उन्होंने दस हजार फाइन का नाम बोला। मैंने कहा कि इतना पैसा नही है। आप चाहें तो गाड़ी को सीज करके सीजर लिस्ट दे दें।
इसपर वे कहने लगे दस हजार प्लस हेलमेट का फाइन काटने।
इतने में एक पत्रकार पहुँच गए। और उन्होंने पदाधिकारी से बात करके मुझे भींगा हेलमेट ही पहन लेने को कहा। अंत मे सबकी बात सुनकर मैने भींगा हुआ हेलमेट ही पहन लिया। इसके बाद कोई फाइन नही हुआ।
क्या सही, क्या गलत, ये आपलोग तय करें।
न्यूज़ ऑफ मिथिला इस घटना की कड़ी निंदा करती है।
