मातृभाषा के बिना शैक्षिक विकास बेमानी : कुलपति

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न्यूज़ ऑफ मिथिला डेस्क: मातृभाषा के बिना शैक्षिक विकास बेमानी। मातृभाषा ही किसी भी शैक्षिक परियोजना की आधारशिला। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मिथिला शोध संस्थान की अलग पहचान। उक्त बातें मिथिला शोध संस्थान द्वारा अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उदघाटनकर्ता के रूप में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहीं। उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मातृभाषा के महत्व को विस्तार से रेखांकित करते हुए मिथिला शोध संस्थान द्वारा किए गए इस उच्च स्तरीय अकादमिक कार्यक्रम को ऐतिहासिक बताया। साथ ही प्रो.सिंह ने शोध संस्थान में संकलित प्राचीन बहुमूल्य पाण्डुलिपियों के समुचित संरक्षण,संस्थान के प्रकाशन का यथोचित प्रचार-प्रसार तथा शिक्षकों एवं कर्मचारियों के अभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो.प्रभाकर पाठक ने तुलसी, कबीर, सूरदास तथा अन्य कतिपय भक्तिकालीन कवियों की रचनाओं में मातृभाषा के अधिसंख्य प्रयोगों के आधार पर वर्तमान परिपेक्ष्य में इस विषय पर गंभीर अनुसंधान के आवश्यकता पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि स्नातकोत्तर संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो.जीवानंद झा ने स्वरचित काव्य के माध्यम मातृभाषा की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. कृष्णकांत त्रिवेदी ने बौद्ध संप्रदाय में मातृभाषा की अहमियत के साथ-साथ सांस्कृतिक दृष्टिकोण से मातृभाषा को संरक्षित किए जाने को अपरिहार्य बताया। विशिष्ट अतिथि उज्जवल कुमार ने शोध संस्थान के सर्वांगीण विकास के लिए अपनी प्रतिबध्दता दुहरायी। अध्यक्षीय उदबोधन में शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. देवनारायण यादव ने संस्थान के अतीत एवं वर्तमान पर विस्तार से चर्चा करते हुए यहां के शोधार्थियों द्वारा गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान किए जाने पर बल दिया। कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्थान के निदेशक प्रो.राजदेव प्रसाद ने आगत-अतिथियों का भावपूर्ण स्वागत करते हुए संस्थान द्वारा इस प्रकार के अकादमिक कार्यक्रमों के आयोजन की प्रासंगिकता एवं उपादेयता पर बल देते हुए आगे भी इस कड़ी को जारी रखने की बात कही। सभी अतिथियों द्वारा शोध संस्थान के संस्थापक महाराजाधिराज डॉ.सर कामेश्वर सिंह के तैल चित्र पर माल्यार्पण किया गया। कार्यक्रम का संचालन शास्त्रचूड़ामणि विद्वान डॉ.मित्रनाथ झा तथा धन्यवाद ज्ञापन पांडुलिपी विभागध्यक्ष प्रकाश चंद्र झा द्वारा किया गया। इस अवसर पर संस्थान के पांडुलिपी संरक्षण के लिए इंटैक के लखनऊ संस्थान के आये हुए विनोद कुमार तिवारी एवं संजय कुमार पांडेय को कुलपति द्वारा मिथिला की परंपरा के अनुरुप सम्मानित किया गया। मौके पर किशोरी कांत झा,अनिल कुमार,रामविलास यादव,अर्जुन कुमार,कमल नारायण झा, अनुरूप मंडल, कृष्णकांत झा, पीतांबर झा आदि सक्रिय दिखे।

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