मधुबनी। जिले के रांटी गांव की रहने वाली दुलारी देवी को मिथिला पेंटिंग के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इसकी सूचना गृह मंत्रालय के जरिये मिली। बता दें कि दुलारी देवी पढ़ी-लिखी नहीं हैं। बड़ी मुश्किल से अपना हस्ताक्षर और अपने गांव का नाम लिख पाती हैं। लेकिन इनके कला-कौशल की चर्चा कला जगत की कई बड़ी पत्रिकाओं में होती है। पूर्व राष्ट्पति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी दुलारी देवी की कला के मुरीद थे। 54 वर्षीय दुलारी देवी की संघर्ष गाथा प्रेरणादायक है।
दुलारी देवी मल्लाह जाति के एक अत्यंत गरीब परिवार में जन्मीं और बचपन से ही चुनौतियों का सामना किया। जब वह 12 वर्ष की थीं तब उनकी शादी हो गई थी। सात साल उन्होंने ससुराल में बिताए थे। फिर 6 महीने की बेटी के मौत के बाद मायके लौटीं और यहीं रह गईं। उस वक्त दूसरे के घरों में कामकाज कर अपना जीवन यापन कर रही थीं। इस दौरान गांव के ही मिथिला पेंटिंग की लोकप्रिय कलाकार कर्पूरी देवी के घर उन्हें झाड़ू-पोंछा का काम मिला।
