दरभंगा : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो रही है। कई नेताओं की दावेदारी का दौर शुरू हो चुका है। दरभंगा जिले के गौराबौराम विधानसभा क्षेत्र से लोजपा के युवा समाजसेवी श्रवण कुमार चौधरी का नाम भी काफ़ी चर्चा में है। गौरतलब हो कि वर्ष 2015 में गौराबौराम विधानसभा सीट से लोजपा प्रत्याशी को हराकर जदयू के मदन सहनी मंत्री बने। वर्तमान में इस सीट से मदन सहनी जदयू पार्टी के विधायक हैं। इससे पूर्व वर्ष 2010 में डॉ इजहार अहमद यहां से जदयू के विधायक रह चुके हैं। लेकिन, इसबार की हालत कुछ और है। जहां एक ओर लोग मदन सहनी के पिछले पांच सालों के कार्यों से नाख़ुश हैं, वहीं डॉ इज़हार अहमद को यहां की जनता पिछले ही चुनाव में नकार चुकी है। वैसे जिले में इस बात की भी चर्चा बनी हुई है कि मदन साहनी इसबार बहादुरपुर से अपनी किस्मत आजमा सकते हैं! अब ऐसे में यह सीट अगर लोजपा के पाले में जाती है तो लोजपा चाहती है कि इसबार किसी नए और युवा चेहरे को ग़ौरबौराम से मौका दिया जाए। ऐसी स्थिति में संभावना है कि श्रवण चौधरी पर पार्टी दांव खेल जाए।
बताया जा रहा है कि श्रवण चौधरी अब सामाजिक जीवन के साथ साथ राजनीतिक जीवन में भी धमाकेदार एंट्री मार सकते हैं। श्रवण कुमार चौधरी , राजनीतिक दलों के रूप में लोजपा का “बंगला” थाम सकते हैं। वैसे तो श्रवण कुमार चौधरी काफ़ी समय से लोजपा के कद्दावर नेता पशुपति पारस से जुड़े हुए हैं ऐसा माना जा रहा है।
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक हाल ही में श्रवण कुमार चौधरी ने लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष व समस्तीपुर के सांसद प्रिंस राज से मिलकर चुनावी मैदान में उतरने की इक्षा जताई है। हालांकि मीडिया से बातचीत में श्रवण कुमार चौधरी ने खुलकर बोलने से परहेज किया है , लेकिन मीडिया सूत्र की माने तो श्रवण की निगाहें गौराबौराम के साथ साथ अलीनगर पर भी टिकी हुई है। लोकसभा चुनाव 2019 में दरभंगा और समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में श्रवण कुमार चौधरी की NDA प्रत्याशी के चुनावी रैली में सक्रिय भूमिका थी।
बता दें कि श्रवण कुमार ने अपनी संस्था ट्रैक ओन कोरियर के माध्यम से मिथिला के हजारों युवाओं को आत्मनिर्भर बना कर रोजगार देने का काम किया है।
एक पत्रकार के सवाल के जवाब में श्रवण कुमार चौधरी ने कहा कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। गरीबों की सेवा करने के लिए नेता बनना जरूरी नहीं है। बस सेवा का भाव होना चाहिए। गरीबों की मदद करने में जो खुशी व आनंद मिलती है वह किसी और कार्य में नहीं मिलती है। श्री चौधरी बताते हैं कि बिना किसी राजनीतिक पद पर बने मैंने वर्ष 2004 में जब कमला बांध के टूटने से भीषण बाढ़ आई थी और उससे सड़क टूट गई थी। लोगों के आवागमन में परेशानियां होती थी उस समय अपने निजी कोष से चचरी पुल का निर्माण व मरम्मत करवाया था।
श्री चौधरी ने कहा कि गाँव के ही प्लस टू स्कूल स्थित वर्ष 2007 में छात्राओं के लिए शौचालय निर्माण करवाया। श्रवण कुमार चौधरी के विकासात्मक कार्यों की चर्चा चहुँओर है। श्री चौधरी की सक्रियता ‘कोरोना महामारी , बाढ़ जैसी आपदा’ में ग़रीब व असहाय लोगों के बीच राहत वितरण में अधिक रही है, जिसकी वजह से ग़ौरबौराम और अलीनगर विधानसभा क्षेत्र में आम जनों के बीच इनकी अच्छी पकड़ बनी हुई है। अब देखनेवाली बात यह होगी कि लोजपा के पाले में कौन सी सीट मिलती है। अगर गौराबौराम सीट लोजपा के पाले में जाती है तो देखने वाली बात यह होगी कि पार्टी इसबार नए व युवा चेहरे को तव्वजो देती है या फिर जदयू पुराने पर ही भरोसा जताते हुए मदन साहनी को ही मैदान में उतारेगी ये कहना जल्दबाजी होगी!
