नल जल योजना की बोरिंग सें हो रहा खेतों में पटवन, जनता में पीने की पानी को हाहाकार

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समस्तीपुर
राजेश झा की रिपोर्ट।

जनता पानी के लिए बेहाल।मुखिया और जेई को सिर्फ चाहिए कमिशन। सरकार को जनता द्वारा अरबों खरबों रुपया प्रत्येक महीना किसी ना किसी माध्यम से सरकार के खजाने में जाती है। कहीं टेक्स के रुप में तो कहीं जीएसटी, कहीं चलान काट कर तो कहीं टिकट स्टाम्प बेच कर यानी किसी ना किसी माध्यम से सरकार को खरबो रुपये जाती है। जिसे सरकार उस पैसे को उसी जनता के कामों में लगाना चाहती है। उसी में से बिहार सरकार के सात निश्चय योजनाओ में से एक है नल जल योजना। जी हाँ हम बात कर रहे है नल जल योजना की जिसके तहत सरकार बिहार के प्रत्येक पंचायत चयनित वार्ड में प्रत्येक घर में नल जल का सुद्ध जल पहुंचाने के लिए कटिबद्ध है, जिसका जिम्मा पंचायत के प्रतिनिधि मुखिया वार्ड मेंबरों और वार्ड सचिव को दिया गया है, जिसके लिये बिहार सरकार प्रत्येक चयनित वार्ड में 14 से 15 लाख रुपये दे रही है। जिस कार्य को सही तरीके से करने के लिए वार्ड मेंबर के साथ साथ वार्ड सचिव का चयन किया है।

बताते चलें कि इस नल जल योजनाओं की राशी मुखिया के द्वारा वार्ड मेंबर के खाते पर ट्रांसफर कि जाती है जहाँ मुखिया के द्वारा 2 से 2•5 लाख रुपये कमिशन के रूप में लिया जाता है,और बांकी पैसे को वार्ड मेंबर और सचिव के मिलीभगत से नल जल योजनाओं का कार्य कमिशन पर किसी ठिकेदार के हाथों सौप दी जाती है। तब जाकर कार्य शुरू किया जाता है। जिसमे ठिकेदार के मनमानी से गुणवत्ता को ताक पर रखकर घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है वहीं नल जल की पाईप को कम गहराई में गाड़ा जाता है। वहीं पानी टंकी टावर की उंचाई मानक के अनुसार निर्माण नहीं किया जाता है । मनरेगा के स्थान पर जेसीबी से कार्य लिया जाता है ।आपको बताते चलें कि खानपुर प्रखंड के श्रीपुर गाहर पश्चिमी के मुखिया रमेश माझी और वार्ड 3 का वार्ड सदस्या रूना देवी है। जब मीडिया वालों ने इस क्षेत्र भ्रमण किया और ग्रामीणो से जानकारी लिया गया कि बोरिंग को कब गाड़ा गया। तो पता चला कि बोरिंग मार्च महिने मे हीं गाड़ा गया है। जो बोर 340 फिट किया गया है, जिसमें से 7 माह बाद भी बालू निकल रहा है वही इस बोरिंग में मोटी ग्रेबुल के स्थान पर बालू और अधिक मात्रा में गोबर डाला गया है जिसके बजह से पानी में बालू के साथ साथ गोबर का स्वाद आ रहा है जिसका पानी पीने लायक नही है। भवन निर्माण में भी गेट के बिम्ब के स्थान पर तख्ता लगाया गया है जो लोड परने से कभी भी टुट सकता है, यहाँ सिर्फ मुखिया वार्ड मेंबर को सिर्फ कमिशन चाहिए। काम सही तरीके से हो या ना हो,यहाँ का मुखिया रमेश माझी और जेई बोलेरो से घूमता है लेकिन योजना स्थल पर जाने मे इनको शर्म लगती है क्योंकि कि इस कार्य को एक ठिकेदार के बल छोर दिया गया है। जहाँ से मुखिया जेई और वार्ड मेंबर को कमिशन के तौर पर एक मोटी रकम चाहिए, चाहे काम घटिया से घटिया क्यों ना हो। इससे किसी प्रतिनिधि को कोई लेना देना नही है। अगर समय रहते इस योजना कि जांच धरातल स्तर पर नही किया गया तो नल जल योजना से ग्रामीणों को कभी पानी नही मिल पायेगा। कुछ हीं दिनो में बोरिंग थप पर जायेगी और सड़कों मे गाड़ा पाईप ध्वस्त हो जायेगा। इन सभी मुद्द्दों पर बारीकी से गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए जिससे कि आम जनता को सही सही लाभ मिल सके और सरकार के योजनाओं से लाभान्वित हो सके ।

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