दरभंगा । इतिहास गवाह है कि सत्ता पर हमेशा वही आये हैं जिनके साथ ब्राह्मण समाज रहा है। सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख रणनीतिकार भी ब्राह्मण ही रहे हैं। पर राजनीतिक दलों ने ब्राह्मणों को हमेशा सत्ता की सीढ़ी बनाकर सत्ता प्राप्त करने के बाद हमेशा ब्राह्मणों के जड़ को समाप्त करने का कार्य किया है। परंतु अब ऐसे ठगों को परिणाम भी भुगतना पड़ेगा। ब्राह्मण समुदाय में इस ठगी को लेकर रोष सामने आ रहा है और गांव गांव में ठगी का जवाब देने की तैयारी जोड़ पकड़ रही है।
उपरोक्त बातें रविवार को बहादुरपुर के देकुली गांव में आयोजित सभा के दौरान ऑल बिहार ब्राह्मण फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष उदय शंकर चौधरी ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण के पतन का कारण अति दयालुता और सहनशीलता भी है। सरकार सत्ता में आयी और अन्य वर्गों के लिए कुछ किया तो ब्राह्मणों ने सोचा कि कमजोरों को आगे लाना का प्रयास है। इसलिए चुप रहे। कांग्रेस ने छला तो 1980 से शुरू होकर 1990 तक आते आते भाजपा के साथ 90% ब्राह्मण आ गए। फिर भाजपा सरकार में आयी और अन्य वर्गों केलिए कार्य किया। ब्राह्मण चुप रहे कि कमजोर सरकार है, अन्य वर्गों को जोड़कर सरकार मजबूत बनेगी तब हमारे हित में कार्य होगा। पर भाजपा की सरकार भी अधिकतर राज्यों और पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में आ गयी। परंतु मजबूत सरकार बनने के साथ ही ब्राह्मणों की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से हत्या करने का प्रयास और मजबूती से कर दिया।
सरकारों का यह कृत्य स्पष्ट रूप से यह प्रदर्शित कर रहा है कि सरकार ने ब्राह्मण को सिर्फ सत्ता की सीढ़ी बनाया और कभी गम्भीरता से इनकी समस्याओं को नही लिया। इसका प्रमुख कारण यह था कि ब्राह्मणों ने कभी प्रतिरोध की सामूहिक शक्ति का प्रदर्शन नही किया था। परंतु इसबार चेतना जाग चुकी है और गांव में बैठक एवं चर्चा का दौर शुरू हो चुका है। रणनीति तैयार हो रही है। ब्राह्मण को अब नेताओं से आशा छोड़ खुद ही एक-दूसरे के सुख दुख का साथी बनना पड़ेगा और संगठित होना पड़ेगा। आगामी चुनावों में सिर्फ सरकार को ही नही, हर राजनीतिक दलों के वोट मांगने आने वाले प्रत्याशियों को भी प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा और परिणाम भुगतना पड़ेगा।
बैठक के दौरान पहुँचे अखिल भारतीय सवर्ण मोर्चा के अध्यक्ष संजीव सिंह ने भी मुहिम का समर्थन करते हुए कहा कि उनका मोर्चा सभी सवर्ण संगठनों के मुहीम में उनके साथ है।
सभा में सुशील चंद्र झा, राजाजी झा, बबन जी झा, संतोष झा, संतोष कुमार झा, राजेश कुमार झा, नारायण जी झा, लाला झा, बच्चा बाबू झा, नीरज कुमार झा आदि सहित दर्जनों ब्राह्मण समाज के बुद्धिजीवी मौजूद थे।
