मिथिला लोक उत्सव : स्थानीय साहित्य व कलाकार की हुई उपेक्षा : साँसद

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– स्थानीय साहित्य व कलाकार की हुई उपेक्षा

– उत्सव के नाम पर हुआ बॉलीवुड गीतों का आयोजन

– आमंत्रण कार्ड की भाषा पर जताई घोर आपत्ति

– यहाँ मिथिला उत्सव नही, नितीश उत्सव मना

दरभंगा । मिथिला लोक उत्सव के पूरे आयोजन पर साँसद कीर्ति आजाद ने सवालिया निशान लगा दिया है। न्यूज ऑफ मिथिला के संपादक निशान्त झा से दुरभाष पर हुई बातचीत में श्री आज़ाद ने कहा है कि सरकार की मंशा के विपरीत यहां आयोजन किया गया है। सरकार स्थानीय भाषा, संस्कृति, लोक कला, साहित्य व संगीत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस प्रकार का आयोजन करती है, लेकिन दरभंगा में ठीक इसका विपरीत हुआ है। इसमें स्थानीय मैथिली भाषा व साहित्य, मिथिला की लोक कला, यहां की सांस्कृतिक विरासत का ख्याल नहीं रखते हुए जनता के सामने संस्कृति के साथ मजाक पेश किया गया है। आयोजन में हुए खर्च की 75 फीसदी राशि बाहरी कलाकारों पर व्यय किया गया है। आयोजन के तरीकों से व्यथित साँसद श्री आजाद ने तो यहां तक कहा कि इस कार्यक्रम का नाम बॉलीवुड महोत्सव होता तो बेहतर होता। वहीं कार्ड की छपाई से लेकर वितरण तक की प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए साँसद ने कहा कि सभी जगह परंपराओं का उल्लंघन हुआ है। आयोजन के तरीके से स्पष्ट हो रहा है कि पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन में समन्वय का अभाव रहा है।

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