मिथिला को जितने पुरस्कार आए, वह बेहतर है : गोदावरी

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मधुबनी। मधुबनी पेंटिंग की शिल्प गुरु गोदावरी दत्ता (90) को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा से जिले में खुशी की लहर है। गोदावरी ने कहा कि बिहार खास कर मिथिला में जितने पुरस्कार आए, वह बेहतर है। जो साधना करेगा वह उचित पुरस्कार का भागी होगा। हां सिर्फ बेचने के लिए पेंटिंग बनाने से आप यह सम्मान नहीं पा सकते। अगली पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि मधुबनी पेंटिंग की कचनी शैली से काम करें तो आप ऊंचाई को पा सकते हैं।

जिले के रांटी गांव निवासी गोदावरी दत्ता का मधुबनी पेंटिंग को देश-विदेश में पहुंचाने में अहम योगदान रहा है। वह कई देशों का दौरा कर चुकी हैं। अब भी पेंटिंग बनाती हैं। देश के अलावा विदेश में भी मधुबनी शिल्प को स्थापित कर चुकी हैं।

गोदावरी दत्ता को राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा शिल्पगुरु पुरस्कार भी मिल चुका है। कचनी शैली की श्रेष्ठ कलाओं में एक मानी जाती है। उन्होंने पौराणिक कथाओं और धार्मिक विषयों पर अधिकतर चित्रण किया है। साल 1964-65 से ही इस क्षेत्र में काम कर रही हैं। कई देशों का दौरा कर चुकी हैं। हाल ही में बिहार म्यूजियम में एक बड़ी पेंटिंग उकेर कर शोहरत बटोरी। इनकी पेंटिंग जापान के मिथिला म्यूजियम में भी प्रदर्शित की गई। कई मंचों से सराहना होती रही है।

इनका जन्म दरभंगा जिले के बहादुरपुर गांव में वर्ष 1930 में हुआ। बचपन से ही मिथिला कला में रुचि थी। मां सुभद्रा देवी ने मधुबनी पेंटिंग का प्रशिक्षण दिया था। इसके बाद तो पूरा समय कला को समर्पित कर दिया

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