देश और बिहार के सबसे कद्दावर नेताओं में शुमार रामविलास पासवान का आज 74वां जन्मदिन है। राजनीति में करीब 50 साल बिता चुके पासवान देश में मौसम विज्ञानी नेता के नाम से जाने जाते हैं। इसकी वजह यह है कि पासवान लगातार पिछली तीन सरकारों में मंत्री रहे हैं। फिर चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस। पासवान ने सभी के साथ बेहतर रिश्ते बनाए हैं और चुनाव से पहले माहौल भांपने की उनकी कला ने राजनीति में उन्हें बड़ा कद दिया है। हालांकि, उनका राजनीतिक सफर इतना आसान नहीं रहा है।
आज से करीब 51 साल पहले महज 22 साल की उम्र में सिविल सर्विस एग्जाम पास कर जब पासवान बिहार के खगड़िया में अपने शहरबन्नी गांव पहुंचे थे, तो उन्हें चौराहे पर ही भीड़ दिखी, जो एक दलित व्यक्ति को 150 रुपए न लौटाने के लिए पीट रही थी। पासवान को उस दौरान बिहार पुलिस में नौकरी का प्रस्ताव मिला था। अपनी इसी हनक का इस्तेमाल करते हुए पहले उन्होंने व्यक्ति को भीड़ से बचाया और फिर जिस आदमी ने दलित पर पैसे न लौटाने का आरोप लगाया, उसकी अकाउंट बुक को ही फाड़ दिया। इस घटना के बाद पासवान अपने क्षेत्र के हीरो बन गए।
सामने एक बेहतर करियर होने के बावजूद जब स्थानीय लोगों ने पासवान को चुनाव लड़ने के लिए मनाया, तो उन्होंने इससे इनकार नहीं किया। इसके बाद वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से अलोली सीट से उपचुनाव लड़े। यह उनका पहला चुनाव था और इसमें उन्होंने कांग्रेस के बडे़ नेता को 700 वोटों से हरा दिया। यहीं से शुरू हुआ रामविलास पासवान का राजनीतिक करियर।
पिछले 50 सालों में 9 बार सांसद रह चुके पासवान शतरंज को अपना फेवरेट खेल बताते हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने हमेशा सही कदम उठाए, जिसकी वजह से वे कई सरकारों के साथ रहे। रामविलास पासवान के नाम एक गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है। वे हाजीपुर से 1977 में 4.25 लाख वोटों से जीते थे। 1989 में उन्होंने फिर 5.05 लाख वोटों से जीतकर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया था।
रिपोर्ट : कीर्तिवर्धन मिश्र/जनसत्ता
