पटना विश्वविद्यालय के सुर्खी-चूने से बने दरभंगा हाउस की सीमेंट-बालू से ‘लीपापोती’

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पटना । पटना विश्वविद्यालय के 10 ऐतिहासिक भवनों में एक दरभंगा हाउस का मरम्मत कार्य मानकों को ताक पर रख किया गया है। सुर्खी-चूने से बने आलीशान भवन की बालू और सीमेंट से मरम्मत की जा रही है। गुणवत्ता भी भगवान भरोसे है। मरम्मत कार्य में जुटे मजदूर भी स्वीकार कर रहे हैं कि सीमेंट की क्वालिटी दोयम दर्जे की है। हेरिटेज भवनों के मरम्मत कार्य के विशेषज्ञ डॉ. एसके प्रसाद ने बताया कि ऐतिहासिक भवनों की मरम्मत के लिए कोर्ट का आदेश है। उसके ढांचे में इंचभर भी हेरफेर की इजाजत नहीं है। हेरिटेज बिल्डिंग जिस मैटेरियल से बनी है, उसी का उपयोग मरम्मत कार्य में किया जाता है। दरभंगा हाउस जिस काल का बना है उस समय बालू- सीमेंट का उपयोग भवन निर्माण में नहीं किया जाता था। पटना के आधुनिक इतिहास में दरभंगा हाउस का महत्वपूर्ण स्थान है।
1907-08 में बने जैक्सन और मिंटो हॉस्टल का मरम्मत कार्य इसी साल हेरिटेज के मानक को पूरा करते हुए किया गया है। इसकी मरम्मत पर पौने चार करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। जबकि इससे 28 साल पहले बने दरभंगा हाउस की मरम्मत में मानक को ताक पर रख दिया गया है। इसकी मरम्मत के लिए दो करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। दरभंगा हाउस के शिक्षकों का कहना है कि 2008 में भवन निर्माण विभाग ने भी मरम्मत कार्य बालू-सीमेंट से ही किया था।
हिस्ट्री ऑफ पटना यूनिवर्सिटी की लेखिका प्रो. जयश्री मिश्रा ने बताया कि दरभंगा हाउस का निर्माण मुगल शैली में 1880 में किया गया था। चाल्र्स मांट ने इसका आर्किटेक्चर तैयार किया था। भवन मुख्य रूप से दो भागों में बांटा है। ङ्क्षहदी विभाग का भाग रानी और इतिहास विभाग का भाग राजा ब्लॉक था। महिलाओं के गंगा स्नान के लिए अंडरग्राउंड सीढ़ी थी, जो अब बंद है।

बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम मुख्य आर्किटेक्चर धनंजय कुमार ने बताया कि हेरिटेज भवन के मरम्मत कार्य पर सामान्य से कई गुना अधिक राशि खर्च होती है। जितने में मरम्मत कार्य पूरा होता है, कमोबेश उतने में नई बिल्डिंग बन जाती है। विश्वविद्यालय अभियंता का कहना है कि दो-तीन साल पहले आए भूकंप में बिल्डिंग को काफी नुकसान हुआ था। आपदा प्रबंधन के द्वारा तय मानक के अनुसार रेट्रो फिटिंग से दरार को भरा गया है।
दरभंगा हाउस में मरम्मत के कार्य की निगरानी के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन विश्वविद्यालय प्रशासन ने किया है। इसकी समन्वयक प्रो. सुनीता राय हैं। सदस्य के रूप में प्रो. पीके पोद्दार, प्रो. समीर शर्मा तथा विश्वविद्यालय अभियंता रतीश कुमार शामिल हैं। कमेटी सदस्यों का कहना है कि मरम्मत का काम शिक्षा विभाग की बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम द्वारा कराया जा रहा है।

बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के मुख्य आर्किटेक्ट धनंजय कुमार ने कहा कि हेरिटेज बिल्डिंग की मरम्मत के नियम-कायदे अलग हैं। यदि दरभंगा हाउस की मरम्मत बालू-सीमेंट से की जा रही है तो यह गलत है। यह सुर्खी -चूने से बना है। उसकी मरम्मत सुर्खी-चूने से ही की जा सकती है। सूबे के विभिन्न कोर्ट में स्थित ऐतिहासिक भवनों की मरम्मत में कोर्ट पहले ही आदेश जारी कर चुका है।

मरम्मत कार्य कमेटी की समन्वयक प्रो. सुनीता राय ने कहा कि दरभंगा हाउस की बिल्डिंग काफी जर्जर हो चुकी है। मरम्मत कार्य जल्द पूरा नहीं किया गया तो राजा-रानी ब्लॉक के पीछे का हिस्सा गिर सकता है। मरम्मत कार्य किया जा रहा है। हेरिटेज बिल्डिंग के मानक की जानकारी नहीं दी गई है। किसी तरह की त्रुटि होने पर जांच कर इसकी जानकारी कुलपति को दी जाएगी।

छात्र नेता अभिनव कुमार कहा कि दरभंगा हाउस के मरम्मत कार्य में गुणवत्ता का पालन नहीं करने की सूचना प्रॉक्टर और कुलपति कार्यालय को दी गई थी। बावजूद इसके नतीजा सिफर है। कमीशन के चक्कर में पटना विश्वविद्यालय की विरासत से छेड़छाड़ की जा रही है। दोषियों को चिह्नित कर कार्रवाई नहीं की गई तो आंदोलन ही विकल्प है।

साभार :- जयशंकर बिहारी

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