दरभंगा,संवाददाता । जिले के राज मैदान में एमएसयू की ओर से मिथिला विकास बोर्ड के लिए 2 दिसंबर को एतिहासिक रैली होगी। मिथिला प्रांत के क्षेत्र व छात्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध एक मात्र गैर-राजनीतिक छात्र संगठन है। पिछले तीन सालों नव विकसित पारिकल्पित मिथिला के निर्माण हेतु स्थानीय प्रशासन ,केंद्र व राज्य सरकार के विरुद्ध प्रबल रूप से अपनी आवाज बुलंद करती हैं और मिथिलावासी को एकजुटता व मिथिलवाद में बांधने का सफल प्रयास कर रही हैं।
मिथिला विकास बोर्ड की स्थापना हो एवं केंद्र सरकार द्वारा 1 लाख करोड़ की पैकेज दिया जाय ताकि मिथिला के पिछड़े क्षेत्र का विकास हो,इसको लेकर यूनियन दिल्ली में विशाल लॉन्ग मार्च कर नीति आयोग को मिथिला को स्पेशल बोर्ड बनाने का अपना मेमोरेंडम सौप चुकी है ।
यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता विद्या भुषण राय ने प्रेस-विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि वर्षों से केंद्र व राज्य के सत्ता पर आसीन कुर्सी प्यारों ने मिथिला के साथ सौतेला व्यवहार करने का काम किया है। मिथिला की संपन्नता इनलोगो के मिथिला विरोधी नीति के कारण खो गई है। मिथिला के संस्कृति व भाषा का संरक्षण व विकास के लिए वर्तमान सरकार कुछ नही सोच रही है। मिथिला में व्यापात कुव्यवस्था,आरजकता, अशिक्षा,गरीबी,पलायन,भुखमरी,स्वास्थ्य की असुविधा को दुरुस्त व जनलाभकारी बनाने को लेकर सरकार की कोई भी ठोस व आमजन हितैषी नीति नही है।
इसीलिए संविधान के धारा 371(A-J) में विकास के आधार पर ऐसे क्षत्रों जो उद्योग-धंधे एवं मिलों के बन्द होने से बेरोजगारी-पलायन और गरीबी चरम पर है। हर साल यह क्षेत्र बाढ़ के चपेट में आता है और करोड़ों लोगों की जिंदगी प्रभावित होती है।
ऐसे क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष व्यवस्था की बात करता है। इसके अनुसार वैकाशिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए सेपरेट डेवलपमेंट बोर्ड का गठन किया जाता है। यह क्षेत्र आर्थिक,शैक्षणिक,स्वास्थ्य,सामाजिक,राजनीतिक आदि हर तरीके से बिहार के अन्य क्षेत्रों से पीछे है और देश के अन्य क्षेत्रों के तुलना में इसका स्तर निम्नतम है। इस नाते इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। इसी संदर्भ में अपनी आवाज जन-जन तक पहुँचाने व जनआक्रोश मुकवधिर सरकार को सुनाने को लेकर 2 दिसम्बर को MSU द्वारा 50,000 आम जनता की रैली करने का निर्णय लिया गया है। जहाँ मिथिला विकास बोर्ड की आवाज सत्तालोभी के कानों तक पहुँचाया जाएगा।
