गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों को करना होगा नियमित ज्ञानवर्धन : प्रो. सुरेंद्र

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दरभंगा । ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग एवं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण परिषद के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें महात्मा गांधी के शिक्षा दर्शन के तहत नई तालीम, प्रायोगिक शिक्षा एवं कार्य शिक्षा विषय पर चर्चा की गई। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि छात्र नन्हे पौधे के सामान होते हैं और उन्हें पोषित करने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। शिक्षक को हमेशा अपने ज्ञान का वर्धन करते रहना चाहिए, तभी हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि गांधी के नई तालीम की प्रासंगिकता आज भी है और आज बिना कौशल के शिक्षा बेमानी होती जा रही है। प्रतिकुलपति डॉ. जय गोपाल ने कहा कि भारत गांवों का देश है और जबतक गांव का विकास नहीं होगा, तब तक देश का विकास नहीं हो सकता। गांधी गांव के उत्थान की बात करते थे। आज भी ग्रामीण कौशल के विकास की आवश्यकता है। उन्होंने फैकल्टी डेवलपमेंट पर बल देते हुए कहा कि इसके बिना शिक्षा में गुणात्मक सुधार नहीं हो सकते। अध्यक्ष छात्रकल्याण प्रो. रतन कुमार चौधरी ने गांधी के तीन एच की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा के द्वारा छात्रों के हेड अर्थात मस्तिष्क, हैंड अर्थात हाथ और हार्ट अर्थात अध्यात्मिक विकास होना चाहिए। कार्यक्रम के प्रारंभ में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अर¨वद मिलन ने अतिथियों का स्वागत पौधे देकर किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मुक्त मणि ने किया व धन्यवाद ज्ञापन दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के प्रभारी निदेशक डॉ. विजय कुमार ने किया। ¨जदगी के विकास की प्रक्रिया है शिक्षा :

शिक्षा संकायाध्यक्ष प्रो. अजीत कुमार सिंह ने कहा कि गांधी के दर्शन को अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम के साथ जोड़ा जाना चाहिए। भारत में हमेशा से ही गुरु के महिमा का गुणगान होता रहा है। ऐसी स्थिति में गुरु के ऊपर महती जिम्मेदारी है। इसलिए, अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम को और उन्नत करने की आवश्यकता है। कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने कहा कि शिक्षा जिंदगी के विकास की प्रक्रिया है। लेकिन, आज के कुछ एक छात्रों में समझ की कमी है। महात्मा गांधी ने शिक्षा को व्यवहारिक बनाने की बात कही थी। भूगोल के पाठ्यक्रम में जुड़े ग्राम विकास की सोच :

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद के सहायक निदेशक डॉ. देवेंद्र नाथ दास ने कहा कि हमारा परिषद गांधी की नई तालीम, ग्रामीण सहभागिता एवं प्रयोगिक शिक्षा को पाठ्यचर्या में शामिल करने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के साथ यह पहला संपर्क और संबंध है और आगे भी इसे विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा बरकरार रखा जाने का प्रयास किया जाएगा। स्नातकोत्तर भूगोल विभाग के डॉ. गौरव सिक्का ने कहा कि गांधी के ग्राम विकास की सोच को भूगोल के पाठ्यक्रम के साथ जोड़ने की आवश्यकता है।

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