अब जबकि बिहार चुनाव की घोषणा होने ही वाली है, बिहार में उत्सव की शुरुआत समझिये शुरू ही हो गयी है। बिहार के लोग प्रत्येक जिले में एक मुख्यमंत्री के उम्मीदवार की घोषणा कर देंगे, हालांकि उन्हें पता है कि यह उम्मीदवार खुद अपनी सीट भी जीत ले तो बड़ी बात है। एक नयी बात जो आपको देखने को मिलेगी वह ये कि किसी भी दल के छुटभैया नेता से पूछियेगा कि कौन जीतेगा तो आपको वह पुरा गणित बता देगा कि कौन नही जीतेगा, लेकिन यह नही बतायेगा कि जीतेगा कौन? इसकी एक मिशाल आप विभिन्न सोशल मिडिया साईट पर देख सकते हैं, जहां सैकड़ों मुख्यमंत्री उम्मीदवार और उनके समर्थक आपको नजर आ जायेंगे।
बिहार में सबको पता है कि मुकाबला दो मुख्य गठबंधन के बीच है, लेकिन दूसरे गठबंधन के लोग पता नही क्यों यह नही बतायेंगे कि हमारा गठबंधन जीतेगा अपितु यह बतायेंगे कि पहले वाला गठबंधन हारेगा। यह सिर्फ आपको बिहार में ही दिखलाई देगा। और हाँ “नोटा” का कीड़ा सिर्फ भाजपा समर्थकों को ही काटता है, और किसी को नही।
लाख टके का सवाल है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? मेरा व्यक्तिगत मत है कि इस बार और अन्तिम बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे और 2022 में इन्हें उपराष्ट्रपति बनाकर दिल्ली भेज दिया जायेगा। फिर अगला चुनाव भाजपा के अगुआई में लड़ा जायेगा तब जाकर 2025 में भाजपा का मुख्यमंत्री बनने का सपना साकार हो सकता है।
– सतीश झा
राजनीतिक समीक्षक
