न्यूज़ ऑफ मिथिला डेस्क. अनेकों बेर सोचलहुँ, मिथिला शिथिला हेबाक कारण सेहो कतेको रास भेटल। सब सँ बेसी पैघ कारण ई लागल जे मिथिला केर सन्तति में मैथिल पहिचान प्रति आकर्षण नगण्य अछि। मैथिली भाषा प्रति आकर्षण नगण्य अछि। मातृत्व प्रति ममत्व नगण्य अछि। जहिना वृद्धावस्था में माय प्रति सन्तान केर आकर्षण बिगड़ल कुल-परिवार में भेटैत अछि, ठीक तहिना आइ मिथिला एक वृद्ध माता रूप में बिगड़ल सन्तान सभक बीच निरीह देखाइछ।
कोनो सभ्यताक निर्माणतत्त्व भाषा, संस्कृति, परम्परा, मूल्य, मान्यता, मानवता, समाजिकता, आपसी तालमेल, परस्पर सहयोग आ सभक संग लय सभक विकास केर सोच जखन जखन कमजोर भेल, ओ सभ्यता ऊपर बाहरी शासन कायम भेल। मिथिला आइ विखंडित अवस्था मे यैह सब कारण पहुँचि गेल, एतय बाह्य शत्रु केर चाइल पर आन्तरिक विखंडन स्पष्टतया हावी अछि। मुगलकालीन सामन्ती व्यवस्था केर सामंतवादी बात-व्यवस्था केर सारा आरोप, किंवा नेपालक एकल पहिचानवादी सत्ता केर सामन्ती बात विचार केँ मिथिला सँ जोड़ि एक महत्वपूर्ण पहिचान मैथिल केँ समाप्त करबाक नीति, ईहो सच जे समाजक अगुआ वर्ग द्वारा कतिपय अधिकार पर कब्जा जमेबाक काज भेल आर ताहि सँ सेहो मैथिल पहिचान संकुचित भेल। त, भ्रम में जकड़ल मिथिला समाज जानि बुझिकय शिथिला बनेने छथि, यैह सच अछि।
साभार : प्रवीण नारायण चौधरी’ केर फ़ेसबुक वाल सँ
