अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका PNAS में प्रकाशित हुआ मिथिला के लाल मयंक कृष्णा का शोध पत्र।

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दरभंगा । अगर कुछ कर दिखाने की जज्बा हो तो मुश्किलें कभी आड़े हाथ नहीं आता है । जी हां जिले के लहेरियासराय स्थित भीआईपी रोड में एमएल अकेडमी के निकट रहने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिवक्ता डॉ0 के के मिश्रा के पुत्र मयंक कृष्णा ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर मिथिला का नाम रौशन किया है।

न्यूज़ ऑफ मिथिला को दूरभाष पर जानकारी देते हुए मयंक कृष्णा ने बताया कि उनके शोध पत्र पौधे और बैक्टीरिया के परस्पर क्रिया से संभव है भूमि अवर्कमण में सुधार को उच्च कोटि में जगह देते हुए पीएनएएस में प्रकाशित किया गया है। मयंक ने बताया कि प्रारम्भिक शोध इंगित करते हैं कि प्रकृति मे विद्यमान परस्पर सम्बन्धों के माध्यम से प्राकृतिक तरीकों से भूमि अवकर्मण में सतत गति प्रदान की जा सकती है। इसी शोध को उच्च कोटि प्रदान करते हुए अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका पीएनएएस में प्रकाशित किया गया है।
वहीं मूल रूप से बिरौल के रोहार निवासी मयंक के पिता अधिवक्ता डॉ0 के0 के0 मिश्रा ने अपने पुत्र की सफलता का सबसे पहला श्रेय मिथिला की धरती को दिया है। उन्होंने कहा कि मिथिला की धरती विद्वता की भूमि है। इसलिए मयंक की मेहनत के साथ साथ मिथिला के माटी पानी का भी योगदान है जिसने मेहनत करने केलिए मयंक को प्रेरित किया।

अधिवक्ता श्री मिश्रा एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी दरभंगा और मिथिला से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा कि मिथिला की असली सांस्कृतिक पहचान यहां की विद्वता रही है। विद्वानों की भूमि है मिथिला। परंतु वर्तमान में ह्रास के लिए जनप्रतिनिधियों को भी जिम्मेवार ठहराते हुए कहा कि यदि स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मिथिला की संस्कृति की उपेक्षा करने लगेंगे तो परिणाम निश्चय ही ह्रास करने वाला होगा। विद्वता की भूमि में विद्वता की कमी को केवल पाग से नही ढका जा सकता। मिथिला की असली सांस्कृतिक पहचान विद्वता पुनः तभी लैटेगी जब मिथिला के प्रतिनिधित्व कर्ता मिथिला के माटी पानी के विद्वतजन हो, न कि अपनी विद्वता की कमी को पाग से ढकने की कोशिश करने वाले ढोंगी लोग।

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