न्यूज़ ऑफ मिथिला डेस्क : किताबें सिखाती हैं जीने की कला
किताबें अमर है और जो हमारे व्यक्तित्व का निर्माण कर हमें जीवन जीने की कला सिखाती हैंं। यही नहीं किताबें एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ज्ञान हस्तांतरित करने का सशक्त माध्यम भी हैं। किताबों से बुद्धि का विकास होता है तथा हम महान लोगों से चिर-परिचित होकर उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा लेते हैं।
दरअसल, किताबें सोच बनाने व बदलने का माद्दा रखती है। किताबें हमें अतीत, वर्तमान और भविष्य तीनों काल की जानकारी देती है। किताबें मनुष्य की सच्ची मित्र हैं जो प्रत्येक परिस्थिति में बखूबी साथ निभाती है। एक अच्छी किताब हमें सफलता के शिखर तक पहुंचा सकती है। अतः आवश्यक है कि हम किताबों के पठन की परंपरा को बरकरार रखें। मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर पर समय व्यतीत करने के बजाय उसका उपयोग किताबों से ज्ञान अर्जित करने में करें।
इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि आज के दौर में किताबों की कीमत में काफी वृद्धि हुई है। अब किताबें रियाहती दरों पर मिलनी मुश्किल है। बढ़ती महंगाई से किताबों का सुनहरा संसार भी अछूता नहीं है। आम आदमी के बजट से बाहर होती किताबों के मूल्य में उछाल किताबों के प्रति उदासीनता की वजह है।
सच्चाई है कि बाजारवाद के कारण किताबों में अश्लीलता ने पांव पसारे हैं। यह साहित्य सामग्री युवाओं को लक्ष्य से विचलित कर रही है। इस तरह की साहित्य सामग्री पर रोक लगनी चाहिए तथा इनका प्रकाशन बंद होना चाहिए। किताबों के चयन और लेखन दोनों पर विचार-विमर्श आज समय की मांग है।
– पुजा मिश्रा ( लेखिका HCL में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं, साहित्य व लेखन में विशेष रुचि रखती हैं। )
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