दरभंगा,आशीष चौधरी । ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के तहत स्ववित्त पोषित योजना से संचालित महिला प्रौद्योगिकी संस्थान (डब्ल्यूआइटी) के नाम के साथ आधिकारिक रूप से पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का नाम जुड़ गया है। अब यह संस्थान डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान के नाम से जाना जाएगा। 5 फरवरी 2016 को आयोजित सीनेट में इस प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद सभी कागजी कार्रवाई को पूरा करते हुए विवि प्रशासन ने इसकी विधिवत अधिसूचना जारी कर दी है। मंगलवार को विवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार ¨सह ने संस्थान के नए नाम के शिलापट्ट का अनावरण किया। इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक निदेशक व डॉ. कलाम के मित्र पूर्व रक्षा वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. मानस बिहारी वर्मा, विवि के कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय, डीएसडब्ल्यू डॉ. भोला चौरसिया, परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशोक कुमार मेहता, साइंस डीन प्रो. कल्याणी पांडेय, संस्थान के निदेशक प्रो. एम नेहाल, एफए मो. अमानुल हक, एफओ विनोद कुमार, विवि अभियंता सोहन चौधरी, कनीय अभियंता एकबाल हसन समेत संस्थान के शिक्षक व कर्मी मौजूद थे। इस अवसर पर पद्मश्री डॉ. वर्मा ने कहा कि डॉ. कलाम का सपना धीरे-धीरे इस संस्थान के माध्यम से पूरा हो रहा है। बता दें कि संस्थान का उदघाटन 30 दिसम्बर 2005 को पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दल कलाम के हाथों ही हुआ था। संस्थान का प्रथम निदेशक पद्मश्री डॉ. वर्मा को बनाया गया था। कुलपति प्रो. ¨सह ने इसे एतिहासिक क्षण बताते हुए संस्थान के उज्जवल भविष्य की कामना की। निदेशक प्रो. नेहाल ने संस्थान की स्थापना एवं उदघाटन से लेकर वर्तमान स्थिति का ब्यौरा दिया। पूर्व निदेशकों के साथ ही संस्थान के विकास में पूर्व कुलपति प्रो. राजमणि प्रसाद ¨सहा के योगदान का उल्लेख किया। इस अवसर पर कुलपति समेत अन्य विवि पदाधिकारियों ने संस्थान में चल रहे विभिन्न निर्माण कार्यों का जायजा भी लिया।
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प्रबंध समिति में हुई संस्थान के संबंधन पर विमर्श :
संस्थान के प्रबंध समिति की बैठक भी मंगलवार को कुलपति प्रो. एसके ¨सह की अध्यक्षता में हुई। इसमें एआइसीटीइ के पत्र के आलोक में संस्थान के संबंधन के संदर्भ में विमर्श किया गया। तय हुआ कि पत्र में वर्णित विभिन्न ¨बदूओं के आलोक में आवश्यक मानदंडों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए, ताकि संस्थान के संबंधन पर कोई खतरा ना आए। इसके तहत संस्थान के शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों की सेवा संबंधी, भवन निर्माण, प्रयोगशाला आदि से संबंधित आवश्यक बातों पर विचार करते हुए उन्हें जल्द पूर्ति करने पर बल दिया गया। इसके अलावा कई अन्य एजेंडों पर भी बैठक में चर्चा की गई।
