जब कलाम साहब ने कहा था ‘नीतीश जी मानस को सौंप कर जा रहा हूं बाढ़ और शिक्षा पर इनका जो अनुभव है उसका लाभ उठाएं।

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तेरी याद बहुत आयेंगी! ये बात वर्ष 2005 की है। उस समय मैं ईटीवी से जुड़ा हुआ था और मेरा कार्यक्षेत्र दरभंगा जिला था। एक दिन हैदराबाद से हमारे इनपुट हेड अनिल सिन्हा जी का फोन आया संतोष कल तुम्हारे यहां राष्ट्रपति अब्दुल कमाल जा रहे हैं। जी सर “खबर ये हैं कि उनके एक मित्र हैं मानस बिहार वर्मा वो दरभंगा के किसी गांव में रहते हैं। कलाम साहब के दरभंगा जाने की एक वजह अपने मित्र से मिलना भी है उनका ये मोबाईल नम्बर है उनसे बात करके खबर भेजिए।
मैंने उस नम्बर पर काॅल किया। सर आप मानस बिहारी वर्मा जी बोल रहे हैं। जी मैं संतोष ईटीवी से बोल रहा हूं आपसे मिलना है।जी मैं 10 मिनट में दरभंगा पहुंचने वाला हूँ। जी सर आप दोनार चौक पर ही उतरेंगे..? जी हां, ठीक है सर तो हम आपसे दोनार चौक पर ही मिलते हैं। मैं भागे भागे दोनार चौक पहुंचा और उनके आने का इंतजार करने लगा जैसे ही बस रुकी एक व्यक्ति साधारण भेसभूसा वाला कंधे में झोला लटकाए हुए बस से उतरा उनके चेहरे की चमक से मुझे महसूस हुआ कि ये ही मानस बिहारी वर्मा ही होंगे।
मैं उनके पास पहुंचा और प्रणाम किया सर मैं संतोष आपसे थोड़ी देर पहले बात हुई हुई थी पीठ थपथपाते हुए गले मिले चलो लहेरियासराय में मेरा डेरा है वही बात करते हैं ठीक है सर ।वैसे संतोष तुम मुझे पहचाने कैसे कि मैं ही मानस बिहार वर्मा हूं ,सर चेहरे के तेज से मैं पहचान गया, इतना कहना था कि वो जोर से हंसने लगे।

अच्छा..बहुत खूब! सर मेरा आग्रह है सामने हमारे पत्रकार मित्र का दफ्तर है वही बैठ कर बात कर लेते फिर मैं आपको आवास पर छोड़ देंगे खबर पटना भेजना होता है इसलिए जल्दी भेजना पड़ेगा तभी आज खबर लग पायेंगी दस सैकेंड चुप रहे फिर बोले चलो ।
दोनार चौक पर ही पत्रकार प्रमोद गुप्ता जी का आवास और दफ्तर साथ साथ है दो मिनट में ही हम लोग पहुंच गए चाय पानी के बाद बातचीत शुरु हुई ।मुझे मानस बिहार वर्मा जी के बारे में कुछ भी पता नहीं था लेकिन दस मिनट के बातचीत में क्या सवाल करना है वो मन ही मन मैं तैयार कर लिया।
मेरा पहला सवाल था कृष्ण सुदामा से मिलने उनके घर आ रहे हैं आप कैसा महसूस कर रहे हैं पहला सवाल ही उन्हें इतना भाया की अब्दुल कलाम साहब के साथ उनका रिश्ता क्या है सारी बाते बोल दिए और अंत में वो बोलते बोलते आंसू रोक नहीं पाए ।
मेरा दूसरा सवाल था कहां आप 35 वर्षों तक DRDO में एक वैज्ञानिक के रूप में काम किये आज भी आप चाहे तो कही भी देश के बड़े संस्थानों से जुड़ सकते हैं लेकिन ये सब छोड़ कर आप गांव लौट आये और आपका गांव आज भी छह माह तक बाढ़ के कारण यातायात बाधित रहता है ना बिजली है ,ना सड़क है आपको लगता नहीं है कि आप अपने प्रतिभा से देश की युवा पीढ़ी को महरूम कर रहे हैं ।
इस सवाल के बाद वो दस सेकंड तक सिर उपर करके कुछ सोचने लगे फिर कैमरे की और देखते हुए कहा DRDO से सेवानिवृत्त होने के बाद मैं कलाम साहब से मिलने राष्ट्रपति भवन गया था ।आगे क्या करना है इस पर दो दिनों तक बातचीत हुई और फिर तय हुआ मानस तुम गांव लौटो तुम्हारी जरूरत गांव को है तुम एक बच्चे को भी मानस बना दिये तो फिर इससे बड़ी उपलब्धि देश के लिए और कुछ नहीं होगा।
और फिर मैं गांव लौट गया और गांव के ही प्राथमिक विद्यालय के बच्चे को पढ़ा रहा हूं कलाम साहब कुछ कम्प्यूटर दिये और एक एंबुलेंस जो रोजाना दरभंगा आता है और रास्ते में जो भी सीरियस मरीज जिसको दरभंगा मेडिकल कॉलेज में इलाज की जरूरत है उसको लेकर आता है फिर शाम में उन मरीजों को लेकर लौट आता है ।
गांव आये दो वर्ष से अधिक हो गये मैं अपने निर्णय से बहुत खुश हूं बच्चों के बीच बहुत अच्छा लगता है । ये मेरी उनसे पहली मुलाकात थी और उस मुलाकात के बाद जो रिश्ता बना वो रिश्ता आज समाप्त हो गया ।

• कलाम साहब ने कहा-  नीतीश जी मानस को सौंप कर जा रहा हूं बाढ़ और शिक्षा पर इनका जो अनुभव है उसका लाभ उठाये।

अब्दुल कलाम साहब ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेने आये हुए थे। मंच पर सीएम नीतीश कुमार भी बैठे थे। कलाम साहब ने मानस बिहारी वर्मा से परिचय कराते हुए कहा कि इनकी योग्यता का लाभ उठाये बाढ़ के स्थायी समाधान ,कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में इनका बहुत ही अच्छा अनुभव है ।
कलाम साहब दीक्षांत समारोह के साथ साथ विश्वविद्यालय द्वारा संचालित बिहार के पहले महिला इंजीनियरिंग कॉलेज का भी उद्घाटन किये थे। नीतीश जी उसी समय मंच पर मौजूद कुलपति से आग्रह किये कि मानस बिहारी जी को महिला इंजीनियरिंग कॉलेज का निदेशक क्यों नहीं बना देते हैं ।
एक माह के अंदर ही महिला इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक के रूप में मानस बिहारी वर्मा जी को नियुक्त कर दिया देखते देखते देश के एक से एक बड़े विद्वान, उद्योगपति इस संस्थान के विकास के लिए शैक्षणिक और आर्थिक मदद करने लगे।
चंद माह में ही करोड़ों रुपया का फंड इस कॉलेज को अलग अलग जगह से डोनेशन में मिलने लगा जैसे ही पैसे की बारिश होनी शुरू हुई राजनीति शुरु हो गयी और फिर वर्मा साहब को कैसे हटाया जाए इसकी साजिश शुरु हो गयी और एक दिन अचानक उन्हें निदेशक के पद से हटा दिया गया ।

• विश्वविद्यालय मानस बिहारी वर्मा को हटाने के लिए छात्रा के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाने की साजिश रची।
जैसे ही उनके हटने की खबर मुझे मिला मैं वर्मा जी को फोन किया मैं काफी आक्रोशित था कि ऐसे विद्वान को इस तरह अपमानित करके हटा दिया।
•विश्वविद्यालय एक बड़ा विज्ञापन दाता था और विश्वविद्यालय कवर करने वाले अधिकांश प्रोफेसर ही थे सारा अखबार खामोश हो गया हालांकि वर्मा जी मुझे बहुत समझाया लेकिन मैं और टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार विष्णु जी इस खबर को लेकर हंगामा खड़ा कर दिये, रोजाना सीरीज में खबर चलना शुरू कर दिए, नीतीश जी का फरमान आया ये क्या हो रहा है तुरंत मीडिया से बात करिए ।
कुलपति वर्मा जी को हटाने को लेकर एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया शायद ऐसी प्रेस वार्ता फिर कभी नहीं हुई मैं और कुलपति आमने सामने था। आधे घंटे तक तीखी बहस चलती रही मेरे एक भी सवाल का जवाब उनके पास नहीं था।
हालात यह हुआ कि पीसी बीच में ही स्थगित हो गया फिर मेरे बिरादरी के जितने भी प्रोफेसर और विश्वविद्यालय के पदाधिकारी थे उनको मुझे मनाने के लिए कहा गया बात नहीं बनी मेरी एक ही शर्त था वर्मा जी को फिर से वापस लाये इसके लिए विश्वविद्यालय तैयार नहीं था।
ऐसे में मैं भी खबर रोकने वाला कहां था अंत में मुझे रात को कुलपति आवास में बुलाया गया ,क्यों कि वर्मा जी से जुड़ी खबर की वजह से नीतीश भी असहज होने लगे थे फिर मुझे कहा कि वर्मा जी पर यौन शोषण का आरोप है बात आगे ना बढ़े इसके लिए उनको हटाया गया है ।
इस खेल के पीछे कौन कौन है ये तो मुझे पता ही था मुझे आश्चर्य इस बात को लेकर था कि उस समय ललित नारायण विश्वविद्यालय के जो कुलपति थे वो पटना विश्वविद्यालय के फिजिक्स के जाने माने प्रोफेसर थे मैंने उनको इतना ही कहा आपसे मुझे ये उम्मीद इस पद में क्या रखा है छोड़ दीजिए ।
वो विधान पार्षद इतना ताकत वाला है ,लेकिन किसी ने इस बात को महत्व नहीं दिया फिर वर्मा जी अपने गांव लौट गए उसी स्कूल में जहां से वो पढ़ कर इतनी ऊंचाई तक पहुंचे थे।

इसलिए कोई भी प्रतिभावान व्यक्ति जब बिहार आने की इच्छा मुझसे व्यक्त करते हैं तो उनको मानस बिहारी वर्मा जी की कहानी सुना देते हैं।

• मानस बिहारी वर्मा के अंतिम विदाई के समय भी कोई नहीं आया।

जी हाँ कल रात को 12 बजे के करीब मुझे फोन आया वर्मा जी नहीं रहे उनके जानने वाले डीएम ,एसएसपी और आयुक्त को मैसेज और फोन करते रह गये लेकिन कोई भी अंतिम दर्शन करने नहीं आया 10 बजे उनका पार्थिव शरीर दरभंगा आवास से गांव के लिए रवाना हो गया सीएम दुख व्यक्त किये हैं लेकिन ऐसे बिहार प्रतिभा को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो इसकी कोशिश नहीं की।

साभार : बिहार के वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह जी के फेसबुक वॉल से।

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