डबल्यूआईटी के स्वरुप को बदलने की कोशिश महिला सशक्तिकरण के विरुद्ध – जिप उपाध्यक्ष

0

ललित नारायण मिथिला के कुलपति व कुलसचिव द्वारा WIT कॉलेज के स्वरुप को बदलने की कोशिश के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन तेज पकड़ लिया है। इसी कड़ी में आज प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जिला परिषद उपाध्यक्ष श्रीमती ललिता झा ने कहा कि मिथिला विश्वविद्यालय अंतर्गत वूमेंस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (डब्ल्यूआईटी) स्थित है। इसकी स्थापना 2005 ईस्वी में तत्कालीन विद्वान कुलपति डॉ राजमणि प्रसाद सिन्हा के अथक प्रयास से शुरू हुआ जो तत्कालीन समय में भारतवर्ष का दूसरा महिला प्रौद्योगिकी संस्थान एवं वर्तमान में भारत वर्ष में छठा या सातवा महिला प्रौद्योगिक संस्थान एवं बिहार का एकमात्र संस्थान है। डबल्यूआईटी के स्वरूप को बदलने की कोशिश विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से हो रही है यह मिथिलांचल के आम आवाम के खिलाफ हैं डब्ल्यूआईटी महिला शिक्षा को समर्पित संस्थान जिसका उद्देश्य महिला के हर गांव से एक लड़की को इंजीनियर बनाना है यह संस्था पिछले 16 वर्षों से अपने स्थापना के उद्देश्य को पूरा करने में लगा हुआ है यह गौरव का विषय रहा कि डबल्यूआईटी के स्थापना पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के मार्गदर्शन में हुई थी एवं देश के तेजस लड़ाकू विमान देने वाले पद्मश्री डॉ मानस बिहारी वर्मा ने इस संस्थान को सीचा है, इससे सहज डबल्यूआईटी के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है, डबल्यूआईटी के स्वरूप को बदलने के प्रस्ताव पर डबल्यूआईटी के संस्थापक एवं मैनेजिंग काउंसलिंग के वर्तमान सदस्य प्रोफेसर राजमणि प्रसाद सिन्हा ने भी अपनी आपत्ति दर्ज की है डब्ल्यू आई टी के स्वरूप व उद्देश्य में बिना बदलाव किए नए सत्र के लिए अविलंब नामांकन की प्रक्रिया शुरू की जाए ,माना कि डब्ल्यूआईटी में सीटें रिक्त रह गयी तो फिर संसाधन बढाईये,अपने तकनीक का विकास कीजिये, उच्च गुणवत्ता वाले फैकल्टी का चयन कीजिये, लैब को राष्ट्रीय मानक के अनुसार अपडेट करिये, कैंपस सेलेक्शन करवाईये ,आज इस क्षेत्र की छात्रा कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, गंगटोक से लेकर गंगानगर तक व कामख्या से लेकर द्वारकाधाम तक अपना परचम लहराती है व पढ़ाई करने जाती है। लेकिन डब्ल्यूआईटी दरभंगा में सीट रिक्त रह जाता है? चिंतन इस बात का करना है कि कैसे यहां संसाधन विकसित हो न कि देश के छठे व बिहार के एकमात्र “महिला प्रौद्योगिकी संस्थान” को सीट भरने के लिये कोएजुकेशन की बात ना होकर सकारात्मक चिंतन की जरूरत है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here