दरभंगा,14 मार्च।
सोमू कर्ण।
बिहार का मिथिलांचल क्षेत्र जो जहां बिहार की आधी आबादी बसती है, उसी मिथिलांचल में लोग बहुत बड़े-बड़े पद पर सुशोभित है लेकिन यहां की जो संस्कृति है, यहां का जो रहन-सहन है उसे लोग धीरे-धीरे भूलते जा रहें हैं। मिथिलांच में दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर समेत कई जिले शामिल हैं यहाँ की मिथिला पेंटिंग, मछली और मखाना का देश विदेश में भी खूब चर्चित है। लेकिन मिथिलांचल के लोग यहां के भाषा और मिथिलाक्षर को धीरे-धीरे भूलते जा रहें हैं, लेकिन एक 10 वर्ष की छोटी सी गुड़िया जो प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रही है उसे मिथिलाक्षर का अच्छा ज्ञान है। इस छोटी सी गुड़िया का नाम शशिप्रभा है और यह अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय माखनपुर के 5वीं कक्षा की छात्रा है। बता दूं कि शशिप्रभा के पिता एक किसान है और इसका कहना है कि वे मैथिली भाषा को सीखने को बहुत जागरूक थी, जिसके कारण मिथिलाक्षर की ज्ञान रखने वाली प्राथमिक विद्यालय माखनपुर की अध्यापिका स्वेता कुमारी ने गुड़िया समेत कई छात्र-छात्राओं को मिथिलाक्षर सीखा रही है। गुड़िया भाई बहन में सबसे छोटी है, और गुड़िया का कहना है कि मिथिलांचल क्षेत्र में जितने भी सरकारी या प्राइवेट विद्यालय है उसमें भी मिथिलाक्षर का पढाई होना चाहिए जिससे मिथिला क्षेत्र के बच्चे इसे सिख सकें और अपने क्षेत्र के भाषा को बढ़ावा दे सके।
बात अगर मिथिलाक्षर की करें तो मिथिलांचल क्षेत्र के 98 प्रतिशत लोग इस भाषा से अछूते हैं, लेकिन वे खूद को मिथिलावासी और मैथिल बतातें है।
