दरभंगा/बेनीपुर । 2019 लोकसभा चुनाव नजदीक आते देख क्षेत्र में विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं की चहलकदमी बढ़ने लगी है। विभिन्न राजनीतिक दल केे संभावित प्रत्याशीयों के बीच क्षेत्र मे हुए विकास कार्यों का श्रेय लेने की होड़ सी मची है। गांव के चौक चौराहों पर आगामी लोकसभा चुनाव मे विभिन्न राजनीतिक दलो एवं गठबंधन से संभावित प्रत्याशीयों के नाम की चर्चा जोड़ पकड़ते ही ग्रामीण क्षेत्र केे मतदाता भी आगामी चुनाव मे प्रत्याशीयो को मुहतोर जबाब देने के लिए कमर कसने लगे है। इसी के तहत बेनीपुर प्रखंड के सजनपुरा पंचायत के कन्हौली के ग्रामीणों ने आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं करने तथा किसी भी राजनीतिक दल के नेता को गांव मे प्रवेश भी नही करने देने का निर्णय लिया है। इसको लेकर ग्रामीणों ने गांव में एक बोर्ड लगा कर मतदान बहिष्कार की बात करते हुए वोट मांगने वाले किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं को गांव में प्रवेश नहीं करने का भी हिदायत दी है। विदित हो कि अनुमंडल मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर कमला नदी के उस पार बसे सजनपुरा पंचायत के कन्हौली गांव के लगभग 2500 से 3000 के करीब मतदाता आज भी अपने अनुमण्डल मुख्यालय से कटा हुआ है । वैसे उक्त गांव को अनुमंडल मुख्यालय से जुड़ने के लिए विगत 25 फरवरी 2011 को केंद्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा कन्हौली कमला नदी पर पुल निर्माण के लिए स्थानीय सांसद कीर्ति झा आजाद द्वारा आधारशिला रखी गई । उस समय में उसकी प्राक्कलित राशि 7 करोड़ था । बाद मे उसे बढ़ाकर 12 करोड़ कर दिया गया। पुल निर्माण का कार्य भी पूरा कर दिया गया । लेकिन पुल के दोनों ओर अभियंता द्वारा पहुंच पथ का प्रावधान नहीं किए जाने के कारण आज भी वह पुल बीच नदी में खड़ा है और ग्रामीणों की समस्या जस का तस बना हुआ है। पुल निर्माण कार्य पूरा कर संवेदक तो चले गए लेकिन उसके बाद ग्रामीणों ने पुल के दोनों ओर बांस की सीढ़ी लगाकर नदी पार करने का वैकल्पिक व्यवस्था कर विभाग से शीघ्र पहुंच पथ बनाने का मांग करने लगा और देखते ही देखते 6 साल गुजर गए ।
पूर्व में अंचल प्रशासन द्वारा घाट पर नाव की व्यवस्था की गई थी :-
पुल निर्माण से पूर्व यहा अंचल कार्यालय की ओर से पूरे साल नाव की व्यवस्था की जाती थी पर पुल के आधारशिला पड़ते ही अंचल प्रशासन वहां से नाव एवं नाविक को हटा दिया । उसके बाद ग्रामीण आपस में चंदा इकट्ठा करके बांस की चचरी बनवाए जिसके सहारे नदी पार करते थे । वर्तमान में वह भी ध्वस्त हो चुका है। ग्रामीण बांस की सीढ़ी के सहारे नदी पार करने को मजबूर है । इस को लेकर ग्रामीणो ने कई बार जनप्रतिनिधि से लेकर स्थानीय पदाधिकारी तक से पुल तक पहूच पथ बनाने की मांग किया एवं धरणा प्रदर्शन किया । इतना कुछ करने के बाद भी कोई इन ग्रामीणो के दर्द को नही समझ सका। एक पंचवर्षीय से अधिक बीत जाने के बाद भी समस्या का समाधान नही होने से आक्रोशित ग्रामीणो ने समस्या के निराकरण तक लोकसभा वा विधानसभा मे मतदान नही करने तथा किसी भी नेता को गांव मे प्रवेश नही करने देने का अहम निर्णय लिया है ।
रिपोर्ट : रतन कुमार झा
