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दरभंगा।
रविवार को दरभंगा महोत्सव आयोजन समिति के तत्वधान में पाग शोभा यात्रा से उद्घाटन सत्र का आयोजन हुआ। पाग शोभा यात्रा झांकी की तरह मिथिला की संस्कृति को दिखाता हुआ दोनार चौक से नाका पांच, मिर्जापुर, आयकर चौराहा होते हुए विश्वविद्यालय चौरंगी पर पहुंची। पाग शोभा यात्रा का उद्देश्य मिथिला एवं दरभंगा की संस्कृतिक परंपरा व पहचान को अक्षुण्ण रखना था। कामेश्वर नगर अवस्थित चौरंगी पर मुख्य अतिथियों ने महाराजधिराज रामेश्वर सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित और दीप प्रज्वलित कर दरभंगा के अतीत और वर्तमान के विषय पर संगोष्ठी का शुभारंभ किया।
मुख्य अतिथि की भूमिका में नगर मेयर वैजयंती खेड़िया, विशिष्ठ अतिथियों में डॉ मृदुल शुक्ला, रजनीकांत पाठक, प्रो० प्रेम मोहन मिश्रा, कमलाकांत झा, कुलसचिव कर्नल निशीथ राय, नारायण झा, राकेश किरण मंचासीन थे। कार्यक्रम के शुरुआत में ल० ना० मि० वी० वी० संगीत विभाग के छात्रों ने गोसाउनिक गीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया ।
उसके उपरांत संतोष कुमार के द्वारा लगाई गई चित्र प्रदर्शनी का निरीक्षण एवं अवलोकन मुख्य अतिथियों के द्वारा किया गया और उन्हें 150 वर्ष पूर्व खूबसूरत दरभंगा के तस्वीरों से रूबरू करा कर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में धरोहरों की स्थिति से अवगत कराया गया। संगोष्ठी में अपना व्याख्यान रखते हुए शहर के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ मृदुल शुक्ला ने कहा कि दरभंगा के इतिहास पर चिंतन आवश्यक है परंतु चिंतन तक ही सीमित ना रहे। पुरानी तस्वीरों को देख भाव विभोर होते हुए उन्होंने कहा कि चित्र प्रदर्शनी अवलोकन के दौरान ऐसा लग रहा था, जैसे किसी अपने के खो जाने पर उसकी तस्वीरों से उसकी याद को मिटाया जाता है। ठीक आज ऐसा ही प्रतीत हो रहा था। उन्होंने दरभंगा महोत्सव आयोजन समिति की भूरी-भूरी प्रंशसा करते हुए कहा कि यह सुखद है कि दरभंगा की सांस्कृतिक और विरासत को सहेजना का बीड़ा दरभंगा के युवाओ ने उठाया है। पूर्व कुलपति राजकिशोर झा ने अपने उद्बोधन में डंके की चोट पर कहा कि दरभंगा का विकास सामाजिक भागीदारी से ही संभव है। नगर मेयर ने दरभंगा महोत्सव के युवाओं का हौसला अफजाई करते हुए कहा कि यह एक अच्छा आगाज़ है जिससे दरभंगा के संस्कृति और धरोहरों को सहेजने की आवाज़ बुलंद होगी।
संगोष्ठी में अन्य सभी मंचासीन वक्ताओं ने चर्चा करते हुए कहा कि दरभंगा का अतीत अत्यंत गौरवशाली रहा है लेकिन वर्तमान में शैक्षणिक क्रियाकलाप, सांस्कृतिक चेतना व समाजिक विकास जरूरी है। एक समय था जब दरभंगा तालाबों औऱ गुलमोहर के पेड़ से जाना जाता था लेकिन सभी को नष्ट कर दिया गया। दरभंगा की सुंदरता कुरूप होती जा रही है जिसका प्रमाण दरभंगा लाल किला, लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस, चौरंगी आदि है। जिसपर चिंतन मनन करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में मंच संचालन संतोष चौधरी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन अभिषेक कुमार झा ने दिया। इस कार्यक्रम में दरभंगा की मिस बिहार बनी अनुराधा कुमारी के साथ साथ कार्यक्रम अमित मिश्रा, दिवाकर मिश्रा, अमन सक्सेना, प्रखर झा, अनीश चौधरी, अभिषेक कुमार झा, मिहिर, शिवांगी, सृष्टि, ऋतु, अविनाश कुमार,जय प्रकाश झा, गौरव झा, सुशांत, नितीश सिंह समेत दर्जनों लोग अपनी सहभागिता दी।
