डब्ल्यूआईटी के अभय दान को जरूरी है सरकारी अनुदान: डॉ बैजू
प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नारी शिक्षा के उन्नयन के लिए वर्ष 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के कर-कमलों से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अंतर्गत स्थापित बिहार का इकलौता महिला प्रौद्योगिकी शिक्षण संस्थान आज आर्थिक बदहाली का शिकार होकर अपनी स्थापना के मूल उद्देश्यों की पूर्ति में अक्षम साबित हो रहा है। यह न सिर्फ चिंताजनक है, बल्कि नारी शिक्षा के विकास के नाम पर चारों तरफ पीटे जा रहे ढ़ोल की थाप का स्याह सच भी है। यह बात विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव सह ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के वरीय सिंडीकेट सदस्य डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने रविवार को प्रेस बयान जारी कर कहा। उन्होंने कहा कि बड़े ही जतन से पूर्व कुलपति डॉ राजमणि प्रसाद सिन्हा ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नारी शिक्षा के उन्नयन को समर्पित डॉ कलाम के सपनों के संस्थान के रूप में इसकी नींव रखी थी। जिसे डॉ कलाम के मित्र एवं मिथिला के लाल प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ मानस बिहारी वर्मा ने बतौर निदेशक अपनी दूरदर्शिता का परिचय देते हुए इसे विकसित रूप भी प्रदान किया। लेकिन समय की बदलती रफ्तार के साथ इसके प्रबंधन की बागडोर विषय विशेषज्ञों की बजाय विषय से इतर ऐसे लोगों के हाथों में सौंपी जाने लगी कि इसकी स्थिति बद से बदतर होती चली गई। उन्होंने कहा कि यहां पढ़ने वाली छात्राओं के प्लेसमेंट में संस्थान की बेरुखी ने जहां संस्थान की गुणवत्ता पर सवाल उठाने शुरू कर दिए, वहीं इस कारण उपलब्ध सीटों पर नामांकन की घटती संख्या ने स्ववित्तपोषित इस संस्थान को विकास की राह पर हांफने के लिए मजबूर कर दिया।
डॉ बैजू ने कहा कि आज इस संस्थान को अपनी स्थापना के मूलभूत उद्देश्यों की पूर्ति के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार से वित्तीय अनुदान मिलने की निहायत जरूरत है। ताकि इसे अपना वजूद बनाए रखने के लिए अभय दान मिल सके। इसके साथ ही, इसकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाना भी समय की मांग है। उन्होंने कहा कि संस्थान को वित्तीय बदहाली से उबारने के लिए को-एजुकेशन को यहां बहाल किया जाना ठोस कदम कदापि नहीं हो सकता। ऐसा करने से न सिर्फ यह संस्थान अपनी स्थापना के मूल उद्देश्यों से भटक जाएगा, बल्कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नारी शिक्षा के उन्नयन के नाम पर यह एक प्रयोगशाला मात्र बनकर रह जाएगा। उन्होंने कलाम साहब के सपनों के इस संस्थान को वित्तीय बदहाली से उबारने के लिए केंद्र व राज्य सरकार से यथाशीघ्र वित्तीय अनुदान प्रदान किए जाने की मांग करते हुए लनामिवि के कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह से इसकी प्रबंधन समिति में विषय विशेषज्ञों को शामिल किए जाने के साथ ही, इस संस्थान के प्रबंधन की कमान विशेष रूप से विषय विशेषज्ञ को सौंपने की मांग की है। ताकि संस्थान की गुणवत्ता को भरोसेमंद बनाया जा सके। उन्होंने इस संस्थान के प्रचार-प्रसार पर भी विशेष जोर देने की बात कही है।
