पटना :- बिहार में चुनावी माहौल है और इस बीच में मशहूर लोक गायिका नेहा सिंह राठौर के एक गाना ‘बिहार में का बा’ काफी चर्चा में आई. इसके बाद सभी राजनीतिक दलों ने अपने अपने तरीके से इस गाने को भुनाने की काफी कोशिश की. बीजेपी, जेडीयू ने सियासी अंदाज में इसके बोल को चुनावी प्रचार के लिए प्रयोग किया. वहीं मैथिली लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने नेहा सिंह के इस गाने का जबाब काफी अनोखे अंदाज में दिया था. कुल मिलाकर देखे तो ‘बिहार में का बा’ ने काफी प्रसिद्धि हासिल की.
लेकिन इस बीच मिथिला के एक मैथिल कवि शरत झा ‘शशांक’ अपनी एक कविता ‘मिथिला मे की छै- मिथिला मे इ छै’ को काफी निराले अंदाज में पेश किया है. उनकी यह कविता मैथिली भाषा में है. चूंकि दरभंगा मिथिलांचल का भाग है और मैथिली भाषा का गढ़ रहा है, यहां की पहचान विश्व स्तर पर है. शरत झा ने इस कविता के माध्यम ने मिथिला के भूत व वर्तमान परिदृश्य को दिखाने की कोशिश की है. कहीं ना कहीं उन्होंने इस कविता के द्वारा मिथिलांचल की वास्तविकता को दिखाते हुए, यहां बेहतरीन चित्रण किया है.
“मिथिला मे की छै- मिथिला मे इ छै” तिरहुत, कोशी, अंग प्रदेश छै आ सल्हेश धुँनधारी छै।कमला, गंडकि, गंगा छै आ सीता जनक दुलारी छै। पग-पग पोखरि, माछ-मखान आ कामेश्वर व्यापारी छै। वी.पी. मंडल, कर्पूरी आ कृष्ण-ललित अवतारी छै।शिला-विक्रम, नालंदा सन; दरिभंगा संस्कृतक क्यारी छै।रामधारी आ रेणु एतै, बाबा विद्यापतिक नचारी छै।अहिल्या-गार्गी, भारती-मंडन’ वाचस्पति पुजारी छै।तहिया, जहिया आज़ादी भेल, हवा-जहाज़ सवारी छै।
धूल-धूसरित सौंसे मिथिला, लालीपप के थारी छै।बंद परल सब चीनी मिल आ जूट मिलक मुँह कारी छै।शिक्षा-स्वास्थ्य बीमार पड़ल आ खेत मे बचल टा आरी छै।गामक-गाम उजार पड़ल आ दिल्ली-मुम्बई के गाड़ी छै।बीघा मे बथान छलई आ गार्डक नोकरी प्यारी छै।बचल कि आब, सौंसे दुनिया नाम पड़ल ‘बिहारी’ छै-२।।
