न्यूज़ ऑफ मिथिला डेस्क. मिथिला के मखान की ब्रांडिंग को लेकर राजनीति शुरू किए जाने पर बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं बिहार विधान परिषद में पार्टी के सदन के नेता डा. मदन मोहन झा ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि मिथिला की सांस्कृतिक पहचान के रूप में ‘पग पग पोखर, माछ, मखान के सूक्ति वाक्य के साथ मखान का नाम जगजाहिर है । मिथिला देश में मखान का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। लिहाजा, इसकी ब्रांडिंग निश्चित रूप से ‘मिथिला मखान’ के रूप में होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मिथिला में मखान की खेती को युद्ध स्तर पर बढ़ावा देने के लिए इसकी ब्रांडिग मिथिला मखान के नाम से करते हुए इस उद्योग का विकास किया जाना चाहिए। ताकि, इससे होने वाली आय को न सिर्फ मिथिला क्षेत्र के विकास में लगाया जा सके। बल्कि, इससे मिथिला में रोजगार सृजन की संभावना भी मजबूत हो सकेगी। उन्होंने कहा कि मखाना मिथिलांचल में पाए जाने वाले दुर्लभ वनस्पतियों में से एक है। भारत में मखाना उत्पादन का 75 प्रतिशत भाग बिहार व उसमें से लगभग 50 प्रतिशत भाग मिथिला उत्पादन का केंद्र है। लेकिन, उचित संरक्षण के अभाव में इसका विकास नहीं हो रहा है। हालांकि, इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए दरभंगा में अनुसंधान केंद्र भी स्थापित है। लेकिन, फंडिग के अभाव में इसका सही फायदा मखान उत्पादकों को नहीं मिल पा रहा है।
डा. झा ने कहा कि यदि जीआई टैग के तहत इसकी ब्रांडिंग मिथिला मखान के नाम से होगी, तो मखाना के विपणन की बेहतर सुविधा यहां के मखाना उत्पादकों को मिल सकेगी। मिथिला के मखान को दुनिया के 100 से अधिक देशों के लोग बड़े चाव से खाते हैं। यही कारण है कि दुनिया के मखाना उत्पादन में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 85 से 90 फीसदी है। मखाना की ब्रांडिंग होने से मखाना उद्योग में जान आना निश्चित है। लेकिन, इसके किसी भी राजनीति से परहेज करते हुए इसकी ब्रांडिग मिथिला के नाम से किया जाना निहायत जरूरी है। वरना इसके संरक्षण व संवर्धन के लिए मिलने वाले फंड की बंदरबांट शुरू हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि मिथिला देश में मखान का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। लिहाजा, इसकी जीआई टैगिंग मिथिला मखान के नाम से होने एवं इसकी समुचित ब्रांडिंग होने से इस उद्योग के विकास का रास्ता प्रशस्त होगा। क्योंकि जीआई टैग के माध्यम से होने वाली आमदनी को न सिर्फ इस उद्योग के विकास में सहज ही लगाया जा सकेगा, बल्कि इस क्षेत्र में रोजगार सृजन की संभावना भी मजबूत हो सकेगी।
