न्यूज़ऑफमिथिला,निशांत झा : कोरोना संक्रमण काल के दौरान विभिन्न उद्योगों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। जिनमें संगीत विधा से जुड़े लोगों के समक्ष भी भुखमरी जैसे हालात बन रहे हैं। संक्रमण के ऐसे ही कालचक्र में मैथिली संगीत उद्योग भी फंस चुका है। मैथिली गीत से जुड़े कई गीतकार, संगीतकार एवं कलाकारों के समक्ष भी भुखमरी जैसे हालात पैदा हो गए हैं।
स्थानीय भाषा व मिथिला मैथिली को देश दुनियाँ में गीत संगीत के माध्यम से पहचान दिलाने वाले कलाकारों के लिए इस संक्रमण काल को झेलना मुश्किल साबित हो रहा है। बच्चों तथा परिवार को लेकर इस संक्रमण काल में जीवन बसर करने के लिए उनके समक्ष अब कोई रास्ता नहीं बचा है। दूखद तो यह है कि अब तक ऐसा माध्यम नहीं बन पा रहा है। जो उन्हें इस विकट परिस्थिति में संबल प्रदान कर सके।
केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के कामगारों की आर्थिक स्थिति की चिंता की जा रही है। उन्हें आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन स्थानीय भाषा व मिथिला मैथिली को देश-दुनिया में गीत संगीत के माध्यम से पहचान दिलाने वाले गायक और संगीत कलाकारों को लेकर सरकार उदासीन दिखाई पड़ती है। गीत संगीत व कला के माध्यम से जीवन यापन करने वाले कलाकारों के लिए सरकार के पास न तो कोई पैकेज है न ही मदद के लिए कोई हाथ आगे बढ़ रहा है। जिस कारण कलाकारों के समक्ष भुखमरी की नौबत आ गई है। स्थानीय कलाकारों की सुधि लेने की जरूरत न तो स्थानीय प्रशासन को है और न ही सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों को। लॉकडाउन के कारण इस कोरोना काल में सभी प्रकार के सामाजिक धार्मिक और वैवाहिक कार्यक्रम स्थगित हो जाने से इन संगीत कलाकारों की आजीविका पूरी तरह से ठप पड़ गई है।

मैथिली अकादमी पटना और मैथिली-भोजपुरी अकादमी दिल्ली का कलाकारों के मदद के लिए आगे ना आना दुःखद : हरिनाथ झा
मिथिला के चर्चित गायक पं. हरिनाथ झा बताते हैं कि पूरे मिथिला भर में अधिकतर मैथिली लोकगीत के कलाकार रोज गाते हैं कमाते हैं उसी से परिवार चलता है लेकिन इस कोरोना में उनका जीवनयापन करना मुश्किल हो रहा है ऐसी परिस्थिति में मैथिली अकादमी पटना और मैथिली भोजपुरी अकादमी दिल्ली का कलाकारों के मदद के लिए आगे ना आना काफी दुःखद है।

लॉकडाउन के चलते मैथिली गीत-संगीत का धंधा ठप पड़ गया है, कहीं से कोई मदद भी नहीं मिल पा रही :अमर आनंद
मैथिली गायक अमर आनंद कहते हैं कि लॉकडाउन के चलते मैथिली गीत-संगीत का धंधा ठप पड़ गया है। कहीं से कोई मदद भी नहीं मिल पा रही। उन्होंने बताया कि लोकगीत गायक, साजिदे, नर्तक, कलाकार के पास आज के समय में काम और पैसे दोनों नहीं है। उन्होंने बातचीत के दौरान मैथिली भाषा में कहा कि “सरकार हमरो सबहक सुधि लियौ नहि त आबय वला किछू दिन में आर्थिक हालात बेसि ख़राब भ जायत।

लोगों का मनोरंजन कर उनका दिल बहलाने वाले कलाकार आज दया के पात्र बन गए हैं : प्रिया राज
गायिका प्रिया राज कहती हैं कि मैथिली लोकगीत गायक अथवा कला जगत से जुड़े हर व्यक्ति के लिए कोरोना संक्रमण काल में कोई काम नहीं है। घर पर बेरोजगार बैठे-बैठे वे अपनी बचत खत्म कर चुके हैं। अब कई छोटे कलाकारों के पास भोजन आदि की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही। लोगों का मनोरंजन कर उनका दिल बहलाने वाले कलाकार आज दया के पात्र बन गए हैं। जल्द ही सरकार ने ऐसे लोगों की मदद की कोई कारगर रणनीति नहीं बनाई तो हालात बदतर हो जाएंगे।

कोरोना के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए कलाकारों की मदद ले सरकार : पंडित कमला कांत झा
मिथिला मैथिली के चर्चित उद्घोषक व मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पंडित कमला कांत झा का कहना है कि बहुत सारे कलाकार स्थानीय लोगों के आदर्श व उनका रोल मॉडल बन चुके हैं। ऐसे में सरकार इन कलाकारों का उपयोग करें इनकी एक टोली बना कोरोना के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने व सरकारी योजना के प्रचार प्रसार में मदद ले। जिससे सरकार का काम भी होगा और कलाकारों को इस विकट परिस्थित में रोजगार भी मिल सकेगा।
