दरभंगा, संवाददाता । कुलाधिपति लालजी टंडन ने कहा है कि सारा देश आज हमारी युवा शक्ति की ओर से देख रहा है। पहली बार ऐसा है कि संसाधनों की कमी नहीं हो रही है। कमी है तो केवल नए सपने, नए खोज की। जरूरी है कि उत्पादकता बढ़े, रोजगार के अवसर बढ़े। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए युवा प्रेरित हों। युवा पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ें, नए भारत का निर्माण करें।
कुलाधिपति टंडन मंगलवार को नागेंद्र झा स्टेडियम परिसर में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षा समारोह को संबोधित कर रहे थे। इसके पूर्व उन्होंने पदमश्री डॉ. सीपी ठाकुर को डॉक्टर ऑफ साइंस, पदमश्री गोदावरी दत्ता को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि दी। 53 स्वर्ण पदक का वितरण किया। कुलाधिपति टंडन ने कहा कि सभी विवि में एक सामाजिक परिवर्तन देख रहा हूं।
बेटियां हर क्षेत्र में सम्मान प्राप्त कर रही हैं। आज जिन्हें मेडल एवं उपाधि मिली है उनमें 65 फीसद हमारी बेटियां हैं। यह गौरव की बात है कि लनामिविवि सहित बिहार केे सभी विश्वविद्यालय महिला सशक्तीकरण की दिशा में नूतन इतिहास का सृजन कर रहे हैं। हम उस गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रयत्नशील हैं जो नई पीढ़ी की आंखों में नया सपना और होठों पर मुस्कान लाने में सक्षम है।
कुलाधिपति ने कहा कि प्राचीन भारत का इतिहास वस्तुत: बिहार का ही इतिहास है। नालंदा और विक्रमशिला विद्या के ऐसे केंद्र थे, जहां देश-देशांतर के लोग आकर ज्ञानार्जन करते थे। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में बिहार के छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन सर्वाेत्कृष्ट रहता है। लेकिन, ये बिहार से बाहर जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं। यहां के विद्यार्थी बाहर जाकर उच्च शिक्षा की खबर बनते हैं। लेकिन बिहार की उच्च शिक्षा खबर नहीं बन पाती है।
वस्तुत: बिहार की उच्च शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन की आवश्यकता है। एकेडमिक कैलेंडर, बायोमीट्रिक उपस्थिति प्रणाली, च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम, यूर्निवर्सिटी मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम का कार्यान्वयन और चांसलर अवार्ड दिए जाने का निर्णय गुणात्मक शिक्षा की दिशा में उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं। उच्च शिक्षा के विकास हेतु किए जा रहे सुधार प्रयासों के सार्थक परिणाम अब दिखने लगे हैं।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि यदि तुम अपने जीवन को उत्कृष्ट बनाना चाहते हो तो सबसे पहले एक विचार या संकल्प लो, उसे जीवन का अंग बना लो। उसी का ङ्क्षचतन, मनन करना, उसी का स्वप्न देखना और उसी के संकल्प को मन मस्तिष्क सहित सभी अंगों में भरना होगा, तब यह संकल्प तुम्हारे जीवन को सफल बनाएगा। कुलाधिपति ने विश्वास जताते हुए कहा कि आप स्वामी विवेकानंद के विचारों से अनुप्राणित होकर राष्ट्र के नवनिर्माण के लिए दृढ़ संकल्पित होंगे।
उन्होंने कहा कि हम भूमंडलीकरण के दौर से गुजर रहे हैं। क्षेत्र और देश की सीमाएं विलुप्त होती जा रही हैं। संचार माध्यमों में क्रांति आई है। हम किताबी दुनिया से निकलकर इंटरनेट की दुनिया में आ गए हैं। रोजगार का स्वरूप बदल रहा है और उसकी संभावनाएं देश-देशांतर तक परिव्याप्त हैं। शिक्षण प्रविधि बदल गई है। परंतु इन सबके साथ-साथ भारतीयता भी हमारी ङ्क्षचतनधारा के केंद्र में होनी चाहिए। ग्लोबल और लोकल के बीच एक सुखद संतुलन बनाकर रखना चाहिए। आधुनिकता के नाम पर भारतीयता को तिलांजलि नहीं दी सकती है।
कुलाधिपति ने कहा कि आतंकवाद विश्व के अधिकतर देशों के लिए एक विकट समस्या बना हुआ है। इसे समूल उखाड़ फेंकने के लिए हमारी प्रतिबद्धता जगजाहिर है। हमारी युवा शक्ति, सैन्य शक्ति और राष्ट्रीय एकता इस चुनौती से निबटने में काफी मददगार है। पूरे विश्व की नजर आस्था और विश्वास के साथ भारत पर टिकी है।
हमारी सांस्कृतिक विरासत आज अक्षुण्ण बनी हुई है तो इसके पीछे हमारी वसुधैव कुटुंबकम की उदार मैत्री भावना ही है। लनामिविवि हमारी संकल्पनाओं के अनुरूप कार्य कर रहा है। नैक मूल्यांकन में यह राज्य में सबसे आगे है। विवि द्वारा तैयार कराया जा रहा विजन 2030 एक व्यापक संकल्पना है। विवि में निरंतर संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का आयोजन इसकी जीवतंता के प्रमाण हैं।
इस विवि के सत्रों का नियमित होना भी हमें गौरवान्वित करता है। विश्वास है कि आप सबके सम्मिलित प्रयास से विवि का चहुंमुखी गुणात्मक विकास होगा। हम सब मिलकर वर्तमान समय और समाज की आशाओं और स्वप्नों को साकार करने का दृढ़ संकल्प लें। समारोह का संचालन कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने किया।
