तीन दिवसीय विद्यापति पर्व समारोह का उद्घाटनकर्ता पीएचडी मंत्री ललित यादव ने कहा कि विद्यापति महान साहित्यकार थे। उनकी साहित्य को जिंदा रखने का कार्य विद्यापति सेवा संस्थान कर रही है। साथ रही संस्थान मिथिला-मैथिली को भी जिंदा रखने का कार्य कर रही है। एक मात्र व्यक्ति विद्यापति जिनका सम्मान संपूर्ण मिथिलावासी करते हैं।
मुख्य अतिथि मंत्री मदन सहनी ने कहा कि मिथिला के विकास में सभी मिथिलावासियों का अहम योगदान रहा है, लेकिन बैद्यनाथ चौधरी बैजू के योगदान की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। विद्यापति की कृति को कोई भी दुनिया भर में कोई भी भूल नहीं सकता है। मिथिला के पृथक राज्य के लिए जोर लगाने की जरूरत है। सभी दलों के नेताओं का मन मिथिला-मैथिली के लिए एक ही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि देश भर में मिथिला सांस्कृति की ललक जगाने में बैद्यनाथ चौधरी बैजू का अहम योगदान है। मखान मिथिला की आर्थिक उन्नति का माध्यम बनेगा। इसका मुझे पूरा उम्मीद है। सरकार मिथिला के विकास के लिए रोड मैप तैयार कर लिया है। निश्चित रूप से मिथिला राज्य भी बनेगा, जब मैथिली संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल हो गई है तो एक दिन यह भी दिन आएगा।
विशिष्ठ अतिथि अलीनगर विधायक मिश्रीलाल यादव ने कहा कि मिथिला राज्य के आंदोलन में मेरा पूरा सहयोग है। मिथिला की समस्याओं के निदान का एकमात्र रास्ता मिथिला राज्य का निर्माण ही है। मेरे लिए पार्टी नहीं मिथिला अहम है। सरकार से बैद्यनाथ चौधरी बैजू को एमएलसी बनाने की मांग की।
विशिष्ठ अतिथि डॉ. जीवेश मिश्रा ने कहा कि आज पूरी दुनिया में विद्यापति के नाम पर कार्यक्रम हो रहे हैं और सभी मिथिलावासी एक जगह एकत्रित होते हैं। विद्यापति मिथिलावासियों को एकसूत्र में बांधने का कार्य किए हैं। उन्होंने विद्यापति समारोह के पहले दिन भी कलाकारों को जगह देने की मांग करते हुए कहा कि इससे सभी को सांस्कृतिक कार्यक्रम सूनने का मौका मिलेगा।
विशिष्ठ अतिथि डॉ. मदन मोहन झा ने कहा कि मैं और मेरे स्वर्गीय पिता नागेंद्र झा भी मिथिला और मैथिली के विकास में सतत योगदान देते रहे हैं। मेरे पिता ने दरभंगा को उप राजधानी बनाने के लिए बहुत कार्य किए थे। मिथिला राज्य के लिए सभी को एक मंच पर आने की जरूरत है।
जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार ने कहा कि मिथिला विद्यापति के कारण भारत की सांस्कृतिक विरसात और मानवीय मूल्यों के संवाहक के रूप में कार्य कर रही है। भारत के उत्ष्कृटता में भी मिथिला का अहम योगदान है। मैथिलीवासी अभी भी अपनी भाषा को जिंदा रखे हुए हैं। मिथिला भाषा उड़ीया और बंगला को भी अपना योगदान है। आज राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी का खमियाजा मिथिला झेल रही है। आज मिथिला क्षेत्र सबसे गरीबी का दंश झेल रहा है। केवल मखाना में एक करोड़ लोगों को रोजगार देने की क्षमता है।
स्वागता अध्यक्ष पूर्व कला एवं संस्कृति मंत्री आलोक रंजन झा ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मिथिला को जोड़ने का कार्य कार्य किया है। इसके लिए मैं पूर्व प्रधानमंत्री को नमन करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मिथिला के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं। अगर सभी लोग मिलकर दोबारा कार्य करें तो मिथिला दोबारा पृथक राज्य बनेगा।
विशिष्ठ अतिथि पूर्व एमएलसी डॉ. विनोद कुमार चौधरी ने कहा कि लोगों के सहयोग के कारण ही विद्यापति पर्व समारोह लगातार 50 वर्षों से आयोजित हो रही है। इसके लिए सभी मिथिलावासी बधाई के पात्र हैं। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने भी समारोह को संबोधित किया।
कार्यक्रम में 34 लोगों को मिथिला विभूती पुरस्कार से समानित किया गया। साथ ही स्मारिका प्रकाशन भी किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत से पूर्व स्थानीय कलाकारों ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। शुरू में सभी अतिथियों का स्वागत मिथिला की परंपरा के अनुसार किया गया। मंचल संचालन पंडित कमलाकांत झा ने किया। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में दर्शक मौजूद थे।
