न्यूज़ डेस्क।
दरभंगा/मुजफ्फरपुर।
मुजफ्फरपुर समेत कई जिलों में चमकी बीमारी जिस रफ्तार से फैल रहा है, उसमें बच्चों ख्याल रखना बहुत जरूरी हो गया है। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम एक बीमारी है। इसके लक्षण दिखते ही अच्छे अस्पताल में भर्ती कराने से मरीज की जान बचाई जा सकती है। लक्षण शुरू होने और इलाज शुरू करने के बीच जितना कम समय लेंगे मरीज की जान बचने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। अंतराल ज्यादा होगा तो जान बचाना मुश्किल हो जाता है। एईएस में बच्चे की मृत्यु दर अधिक होने का कारण यही है कि इलाज में देरी हो रही है। ये बातें पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग के एईएस विशेषज्ञ डॉ. गोपाल शरण ने कही। डॉ. गोपाल शरण ने बताया कि जैपनीज इंसेफलाइटिस वायरस एईएस बीमारी का सबसे महत्वपूर्ण कारक है। जेई अधिकतर गांव के बच्चों में ही होता है। इसमें भी तेज बुखार और चमकी होती है। दरअसल, जेई क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। यह रात में काटता है। यह सब मानसून से पहले और मानसून के बाद जब खेतों में पानी जमा हो जाता तब होता है। इसका इलाज भी अन्य एईएस की तरह ही होता है।
क्या है चमकी बुखार का लक्षण
एईएस में अचानक तेज बुखार होता है और साथ में मरीज बेहोश होने लगता है। बच्चे की मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। कुछ बच्चों में मिर्गी जैसा दौरा आता है और कुछ बच्चों में नहीं भी आता। इसी लक्षण के आधार पर इसे सामान्य भाषा में चमकी बुखार के नाम से भी लोग जान रहे हैं। एईएस वायरल व बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी हो सकता है। ड्रग या केमिकल से भी हो सकता है। यह बीमारी किसी भी समय हो सकती है, लेकिन गर्मी व बारिश में केस बहुत बढ़ जाते हैं।
