आज़ादी के 70 वर्ष बाद भी एक अदद पुलिया के लिए तरस रहा दरभंगा का यह गांव..

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दरभंगा : कमला नदी के दो धाराओं के बीच भेड़ियारही गांव एक अदद पुल के लिए तरस रहा है। गांव के लोग चचरी पुल के सहारे नदी पार करने को विवश हैँ। आजादी के सात दशक बाद भी एक पुल के लिए तरस रहा भेड़ियारही गांव दरभंगा जिले के तारडीह प्रखंड में है। आज जहां लोग चांद और मंगल ग्रह पर पहुंच गए हैं। बुलेट ट्रेन चलाने की बातें हो रही है। वहीं दूसरी ओर प्रखंड मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर पूरब् में बसा कमला नदी के दो धाराओं के बीच भेड़ियारही गांव एक अदद पुल के लिए तरस रहा है। गांव के लोग चचरी पुल के सहारे नदी पार करने को विवश है। श्रमदान और ग्रामीण सहयोग के बलबूते हर वर्ष कमला नदी पर चचरी पुल बनाया जाता हैं और नदी में जलस्तर बढ़ जाने से उसकी तेज धारा में पुल का बह जाना नियति बन गई है। इसके बावजूद हर वर्ष ग्रामीण आपसी सहयोग से अक्टूबर-नवंबर में पानी कम होने पर चचरी पुल का निर्माण करते हैं। ग्रामीणों की माने तो हर वर्ष एक से डेढ़ लाख रुपए की लागत से चचरी पुल का निर्माण किया जाता है। पांच से छह माह गांव के लोगों का आने जाने का मुख्य साधन नाव होती है पर नदी में पानी कम हो जाने के बाद चचरी पुल ही एकमात्र आने-जाने का मुख्य मार्ग रह जाता है। जान हथेली पर लेकर लोग चचरी पुल से भी आना-जाना करते हैं जो हमेशा दुर्घटना का डर बनाता है।

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गांव आने जाने का कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने के कारण गांव का विकास भी ठप्प पड़ा हुआ है। लगभग 200 से 300 यादव बाहुल्य परिवार वाले इस गांव में अस्पताल जाना हो या विद्यालय या अन्य कोई कार्य से गांव से निकलना हो तो गांव के लोगों का सहारा नाव या बांस की चचरी पुल ही होती है। चचरी पुल से आना जाना हमेशा लोगों के लिए खतरनाक बनी रहती है। ग्रामीणों ने कहा की चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि निर्माण की बात कर अब तक हम लोगों को छलते आए हैं। पुल निर्माण कराने को लेकर सांसद विधायक से लेकर अन्य राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों तक गुहार लगाई है पर किसी ने अब तक पुल निर्माण में कोई सार्थक पहल नहीं किया है।

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