दरभंगा , संवाददाता : किसी भी क्षेत्र की जनता का अपनी मातृभाषा से जुड़े बिना उस क्षेत्र का सर्वांगीण विकास संभव नहीं होता। इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि एक अप्रैल से शुरू हो रही जनगणना में सभी मिथिलावासी एवं प्रवासी मैथिल मातृभाषा के कॉलम में अनिवार्य रूप से अपनी मातृभाषा मैथिली दर्ज करें। यह आह्वान बुधवार को विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित प्रेस वार्ता में महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने किया। उन्होंने कहा कि जनगणना में शत-प्रतिशत मैथिलीभाषी लोगों द्वारा अपनी मातृभाषा मैथिली दर्ज किए जाने को लेकर जनजागरण अभियान की शुरुआत 28 मार्च को समस्तीपुर के रोसड़ा प्रखंड से हो चुकी है जो अगले एक महीने तक मिथिला के हर गांव और टोला स्तर तक चलाया जाएगा। उन्होंने गुरुवार को उनके पैतृक गांव आनंदपुर सहोड़ा सहित निकासी, शुभंकरपुर, कलिगांव एवं टटुआर आदि गांवों में जनजागरण अभियान चलाए जाने की जानकारी दी। मैथिली अकादमी के निवर्तमान अध्यक्ष पं. कमलाकांत झा ने कहा कि बदलते राजनीतिक परिदृश्य में मिथिला क्षेत्र की सीमा को लेकर जबरदस्त साजिश हो रही है। ऐसे में संख्या बल के आधार पर संवैधानिक अधिकार में हिस्सेदारी का प्रभावित होना अवश्यंभावी है। उन्होंने जनगणना में सभी मैथिली भाषी लोगों से अपनी मातृभाषा मैथिली दर्ज करने की अपील करते हुए कहा कि सही मायने में यह मिथिला एवं मैथिली के लिए षड्यंत्र करने वाले लोगों के लिए माकूल मुंहतोड़ जवाब होगा। डॉ. अमलेन्दु शेखर पाठक ने लोगों से जनगणना में मातृभाषा के रूप में मैथिली भाषा का विकल्प चुनने का आह्वान किया। सीएम लॉ कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. बदरे आलम ने अधिक से अधिक लोगों से जनगणना में मातृभाषा के कॉलम में मैथिली भाषा का नाम दर्ज करने की मौके पर अपील की। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा, लनामि विवि के पूर्व कुलसचिव, कुलानुशासक एवं शैक्षिक महासंघ से जुड़े डॉ. अजीत कुमार चौधरी, मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा, समाजसेवी सतीश चंद्र चौधरी, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के डॉ. श्रीपति त्रिपाठी, कृष्ण चन्द्र मिश्र, युवा समाजसेवी पुरुषोत्तम वत्स, प्रो. चंद्रशेखर झा बूढाभाई, डॉ. गणेश कांत झा, प्रो. विजयकांत झा, महानन्द ठाकुर आदि ने भी लोगों से जनगणना में मातृभाषा के कॉलम में अनिवार्य रूप से मैथिली का विकल्प दर्ज करने की अपील की।
