कहते हैं चुनौतियां हमेशा हौसलों का इम्तिहान लेती हैं। इसी सोच को मापदंड बनाकर मेडिकल की पढ़ाई करने के बावजूद डॉ. त्यागराजन एसएम ने आईएएस की परीक्षा में शामिल और उत्तीर्ण हुए। देश के विकास में अपनी भागीदारी के मकसद से प्रशासनिक सेवा में आये। वर्ष 2011 बैच के आईएएस डॉक्टर त्यागराजन एसएम शालीन, व्यवहार कुशल, कर्मठ और ईमानदार जिलाधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं ।
20 दिसंबर 1984 को तमिलनाडु के कोयंबटूर में जन्मे त्यागराजन बचपन से ही आईएएस बनने की इच्छा रखते थे । वे मध्यम वर्गीय परिवार से थे और उनके पिता एस मोहन राम और माता उमा देवी हैं। शुरुआती दिनों में त्यागराजन का जीवन संघर्ष पूर्ण रहा लेकिन वे कभी भी मुसीबतों से विचलित नहीं हुए । डॉ. त्यागराजन ने 2008 में कोयंबटूर के एमजीआर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की, वर्ष 2010 में आईपीएस बन बतौर एएसपी ओडिशा में ज्वाइन की, लेकिन जो लाइफ के साथ कामिटमेंट था उसे पूरा करने में लगे रहे और वर्ष 2011 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुन लिये गये और बिहार कैडर मिला।
डॉक्टर त्यागराजन एसएम का प्रशासनिक सफर बिहार के पूर्णिया से शुरू हुआ जहां वे प्रशिक्षु रहे। उसके बाद इनकी पहली पोस्टिंग एसडीओ पटना सिटी हुई थी। फिर बिहार शरीफ में नगर निगम के आयुक्त बनाये गये। आयुक्त रहते हुए उन्होंने सफाई के क्षेत्र में कई बेहतर कार्य किये। उनकी ईमानदारी और प्रशासनिक कार्यों के प्रति निष्ठा को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगस्त 2015 में अपने गृह जिले नालंदा का डीएम बनाया। वहां डॉ त्यागराजन लंबे समय तक रहे। इस दौरान इनकी दृढ़ इच्छाशक्ति वजह से नालंदा शहर स्मार्ट सिटी की रेस में आ गया। इतना ही नहीं, इनके कार्यकाल में राजगीर के भूई गांव में ठोस कचरा प्रबंधन को नया आयाम दिया जिसे देखने के लिए देश-विदेश के लोग आये दिन आते हैं। बेहतरीन कार्य कौशल के बल पर एकंगरसराय प्रखंड के चम्हेडा को मॉडल गांव के रूप में विकसित किया। नालंदा में विद्युतीकरण कार्य बेहतर तरीके से कराने के लिये प्रधानमंत्री ने उन्हें सम्मानित किया।
2019 फरवरी में डॉ त्यागराजन एसएम दरभंगा जिला के जिलाधिकारी बनाये गये। आम तौर पर वे शांत और मृदुल स्वभाव के हैं परन्तु निर्भिक और फौरन निर्णय लेने वाले अधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं। दरभंगा आने के साथ ही उन्होंने प्रशासनिक सुधार के काम में गति और विकास कार्यों को रफ्तार दिया। कोरोना काल में डॉ त्यागराजन एसएम के कार्य की जमकर तारीफ हो रही है। जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र मे सैनेटाइजेशन पर जोर , लॉकडाउन के दौरान गाइडलाइंस का सख्ती से पालन और जरूरतमंदों के लिए राशन की व्यवस्था को प्राथमिकता , क्वारंटाइन सेंटर पर बतौर डीएम खुद नजर रख उन्होंने प्रशासनिक सूझबझ का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है।
लॉकडाउन में जिले की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए 01 अप्रैल से 05 मई के बीच कुल 30,421 योजनाएं प्रारंभ करवाई , इन कार्यों में 50,000 से अधिक मजदूरों को काम मिला , मजदूरो को रोजगार देन के लिए बांधों की सुदृढ़ीकरण का कार्य शुरू करवाना उनकी विलक्षण कार्यशैली को प्रदर्शित करता है।
चुनौतियों से विचलित न होने वाले डीएम डॉक्टर त्यागराजन एमएस की यही कार्यशैली उन्हें खास बनाती है।
