नई दिल्ली । वयोवृद्ध पत्रकार अवध कुमार झा का शुक्रवार को 95 वर्ष की आयु में सऊदी अरब के ओमान में उनके बेटे के घर में निधन हो गया। हालांकि वह बिहार के भागलपुर जिले के मूल निवासी थे। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन पटना में बिताया। वे भारत के पुराने अखबारों में से आर्यावर्त के अंतिम संपादक थे। हालांकि अब यह दैनिक प्रिंट और सर्कुलेशन में नहीं है। आर्यावर्त का अर्थ है ‘कुलीन का निवास’ । मिथिला के अंतिम राजा कामेश्वर सिंह के स्वामित्व वाले द इंडियन नेशन का यह हिंदी संस्करण हुआ करता था।
एके झा की मृत्यु को पत्रकारिता, संचार और साहित्य की दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति बताते हुए, सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के लिए काम करने बाली संस्था मिथिलालोक फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ बीरबल झा ने गहरा दुख व्यक्त किया । और मृतक के परिवार को सांत्वना देते हुए दिवंगत आत्मा को अपनी गहरी श्रद्धांजलि अर्पित की।
मिथिला के ‘यंगेस्ट लिविंग लीजेंड’ डॉ झा ने अपने संवेदना संदेश में कहा “एके झा एक पत्रकार ही नहीं बल्कि एक महान सामाजिक कार्यकर्ता, सामाजिक विचारक और प्रसिद्ध लेखक थे। वह पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के समकालीन थे और उनके साथ काम करने का मौका मिला था।”
“संपादक एके झा अपने पीछे चार पुत्रों व भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। अवधबाबू जिन्होंने 35 रुपये मासिक के लिए एक संवाददाता के रूप में जीविका की शुरुआत की, लगातार 72 वर्षों तक पत्रकारिता से जुड़े रहे। इस बीच, उन्होंने कई किताबें भी लिखीं।” भारत के पैगमैन डॉ बीरबल ने आगे कहा।
उनके तीसरे बेटे संजीव शेखर झा जो दिल्ली में एक मीडिया हाउस का संचालन करते हैं, ने कहा कि वह जल्द ही सामाजिक और साहित्यिक संगठन- अवध स्मृति स्थापित करेंगे एवं पिता के सम्मान में साहित्य, जनसंचार और पत्रकारिता के क्षेत्र को आगे बढ़ाएंगे।
