दरभंगा। नियम-निष्ठा और आस्था के बीच छठ महापर्व का आज समापन हो गया। यह एक ऐसा पर्व है, जिसमें ऊंच-नीच का भेद पूरी तरह मीट जाता है। यहां तक कि आम और खास में भी फर्क नहीं रहता है। एक ही तालाब में एक साथ वीआईपी राजनेता व गरीब छठी मईया को अर्घ्य अर्पित करते हैं। शहर से लेकर गांवों तक छठी मईया की गीत पीछले चार दिनों से पूरे क्षेत्र को भक्तिमय बना दिया था। शुक्रवार में शाम में डूबते सूरज और आज सुबह ऊगते सूरज को लोगों ने अर्घ्य दिया। यद्यपि कोविड-19 का असर इस पर्व के आयोजन पर देखा गया, लेकिन लोगों के उत्साह में कमी नहीं दिखी। अलवत्ता काफी लोग अपने घरों के छत पर कृत्रिम तालाब का निर्माण कर वहां छठी मईया की पूजा की। जहां तक खास लोगों की बात है, तो सांसद गोपालजी ठाकुर अपने पैतृक गांव बिरौल प्रखंड के पररी गांव में निष्ठा पूर्वक छठ पर्व किया। वे पिछले 10 वर्षों से छठ करते आ रहे हैं। सांसद ने कहा कि हिन्दू शास्त्र के अनुसार भगवान सूर्य एक मात्र प्रत्यक्ष देवता हैं, जिनका साक्षात दर्शन संसार के सभी जीव-जंतुओं को मिलता है। उन्होंने छठी मईया से सभी के जीवन में सूख-शांति और आरोग्य लाने की मनोकामना पूर्ण करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अब यह पर्व देश ही नहीं विदेशों में भी मनाया जाता है।
दरभंगा नगर निगम के महापौर वैजंती देवी खेड़िया ने अपने आवास पर कृत्रिम तालाब बनाकर छठ मईया की पूजा की। इस अवसर पर उनके पति पूर्व मेयर ओम प्रकाश खेड़िया ने भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया। गांवों की बात करें, तो कोविड-19 के बावजूद बड़ी संख्या में बाहर रहने वाले लोग गांव आए थे और पूजा में शामिल हुए। पूजा के प्रति आस्था इतनी अधिक है कि दिल्ली, लखनऊ जैसे शहर से लोग कार भाड़ा कर पूजा करने के लिए आए थे, ताकि सोसल डिस्टेंसिंग बना रहे। ऐसा कोई भी गांव जिला का नहीं रहा, जहां तालाबों के किनारे छठ पूजा की व्यवस्था नहीं थी। आज ऊगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घाट पर ही प्रसाद वितरण का कार्य करते हुए लोगों को देखा गया। कुल मिलाकर कहे, तो निष्ठा-नियम और आस्था के बीच छठ महापर्व कोविड के डर के बावजूद उत्साह पूर्वक संपन्न हुआ।
