सवर्ण आरक्षण बिल संसद में हुआ पास,राष्ट्रपति की मंजूरी शेष

0

नई दिल्ली,पुरुषोत्तम कुमार । सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसद आरक्षण पर संसद की मुहर लग गई है। लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी बुधवार को सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण संबंधी 124वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया। इसके पक्ष में 165 वोट पड़े जबकि विरोध में सिर्फ सात वोट। मतदान के समय सदन में कुल 172 सदस्य मौजूद थे।

संविधान संशोधन विधेयक होने के कारण दो तिहाई बहुमत से पास होना जरूरी था। इस लिहाज से पक्ष में 163 वोट जरूरी थे। राज्यसभा में इस समय कुल 244 सदस्य हैं। सरकार ने यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत किया है जिसकी वजह से राज्यों की विधानसभाओं से इसे पारित कराने की जरूरत नहीं होगी। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 10 फीसद आरक्षण की यह व्यवस्था प्रभावी हो जाएगी।
राज्यसभा में विपक्ष की आपाधापी के बीच सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि सरकार की नीयत और इरादे दोनों अच्छे हैं। सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसद आरक्षण देकर उनका सशक्तिकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आरक्षण के इस प्रावधान को न्यायिक कसौटी पर खरा रखने के मकसद से ही संविधान संशोधन का रास्ता निकाला गया है। सभी दलों को इस ऐतिहासिक कदम का समर्थन करना चाहिए। कांग्रेस की ओर से आनंद शर्मा ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि पांच राज्यों के चुनाव में हार के बाद सरकार अचानक यह विधेयक लेकर आई है।

2014 में सब्जबाग दिखाते हुए तमाम वादे किए गए थे मगर उनमें से कोई पूरा नहीं हुआ। पांच राज्यों के चुनाव में जनता ने इन्हें रास्ता दिखा दिया। इसी घबराहट में सत्ता से बाहर होने के डिपार्चर लाउंज में खड़ी सरकार ने यह कदम उठाया है। आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस बिल का समर्थन इसलिए कर रही है क्योंकि पार्टी ने भी अपने चुनावी घोषणापत्र में इसका वादा किया था।

नौकरियां ही नहीं होंगी तो आरक्षण का क्या मतलब

शर्मा बिल में आरक्षण के लिए शर्तों की चर्चा करते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि आठ लाख रुपये तक की आय और पांच एकड़ जमीन के साथ जो मानक तय किए हैं उसमें करीब 98 फीसद आबादी आएगी। इसका अर्थ यह होगा कि इतनी आबादी को 10 फीसद कोटे में ही संघर्ष करना होगा। कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार और सरकारी कंपनियों में बीते वर्षों में लगातार हजारों हजार नौकरियां खत्म होने के सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इस आरक्षण का मतलब ही क्या होगा जब नौकरियां ही नहीं होंगी।

महिला आरक्षण बिल लाए सरकार, कांग्रेस करेगी समर्थन उन्होंने कहा कि चुनावी हार के बाद सरकार राजनीति कर रही है। अगर ऐसा नहीं था तो फिर महिला आरक्षण बिल को सरकार ने पांच साल में क्यों नहीं पारित कराया। सरकार को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस साथ देने को तैयार है, वह लोकसभा को बुलाकर महिला आरक्षण बिल पारित कराने का साहस करे। आनंद शर्मा ने कहा कि देश की जनता भोली जरूर है मगर मूर्ख नहीं। वह सरकार की राजनीति को भी समझती है और चुनाव में किए गए वादों का हिसाब भी मांगेगी।

ओबीसी आरक्षण 54 फीसद हो

सपा सपा के रामगोपाल यादव ने सवर्ण गरीबों के आरक्षण का समर्थन करते हुए मांग उठाई कि ओबीसी का आरक्षण उसकी जनसंख्या के हिसाब से बढ़ाते हुए 54 फीसद किया जाना चाहिए। उन्होंने मुसलमानों के लिए भी इसी आधार पर आरक्षण की मांग उठाई।

बसपा ने पासवान पर साधा निशाना बसपा के सतीश चंद्र मिश्र ने अगड़ी जाति के गरीबों के आरक्षण का समर्थन किया मगर एससी-एसटी को प्रमोशन में आरक्षण देने संबंधी बिल पारित नहीं करने को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाए। खासतौर पर उन्होंने केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पर इसको लेकर निशाना साधा और कहा कि सरकार का आरक्षण का यह सिक्सर बाउंड्री पार करने वाला नहीं है।

एससी-एसटी आरक्षण खत्म करने का प्रयास : आप आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह ने विधेयक का समर्थन किया और साथ ही संघ परिवार पर आरोप लगाया कि वह एससी-एसटी आरक्षण का प्रावधान खत्म करने की पैरोकारी करती रही है। यह उसी प्रयास का हिस्सा है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here