समस्तीपुर । कांग्रेस और समाजवादियों के गढ़ रहे समस्तीपुर में इस बार सीधा मुकाबला एनडीए के लोजपा उम्मीदवार और निवर्तमान सांसद रामचंद्र पासवान और कांग्रेस के डॉ.अशोक कुमार के बीच सिमटा हुआ है। इस सीट पर 29 अप्रैल को मतदान होना है। समस्तीपुर के लोगों ने समाजवादी विचारधारा को अपनाने में कभी कोई हिचक नहीं दिखाई। हालांकि यह सच भी बड़ा मौजू है कि जब भी देश में कोई लहर चली तो यहां के लोग उस पर सवार हो लिए।
आजादी के बाद देश में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो यहां भी कांग्रेस की बादशाहत कायम रही। कांग्रेस ने 1972 तक लगातार जीत दर्ज़ की। नेहरू कैबिनेट में मंत्री रहे बालेश्वर राम के पुत्र और इस बार कांग्रेस के प्रत्याशी बनकर मैदान में उतरे डॉ अशोक कुमार सीधे मुकाबले में निवर्तमान सांसद और लोजपा उम्मीदवार रामचंद्र पासवान को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। रामचंद्र लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के छोटे भाई हैं। 2014 के आम चुनाव में उन्होंने डॉ.अशोक कुमार को ही पराजित किया। पासवान को 2,73,654 और अशोक कुमार को 2,63,529 वोट मिले थे। 2009 के चुनाव में आरजेडी के साथ गठबंधन में रही लोजपा ने पराजय का मुंह देखा। तब जदयू के महेश्वर हजारी 2,59,458 वोट लाकर जीते। रामचंद्र पासवान को तब 1,55,082 वोट मिले थे। 2004 में यहां आरजेडी के आलोक मेहता जदयू के मंजय लाल को हराकर जीते। जबकि 1999 में मंजय लाल आरजेडी के अशोक सिंह को हराकर विजयी हुए थे।
समस्तीपुर ने 1977 की जनता लहर में कांग्रेस से किनारा कर लिया था। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर में कांग्रेस के रामदेव राय, कर्पूरी ठाकुर जैसे दिग्गज को हराकर जीते। यह और बात है कि समस्तीपुर के छः में से एक विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा और लोजपा का विधायक नहीं है। जदयू के चार और कांग्रेस व आरजेडी के एक-एक विधायक है। लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद यह सुरक्षित क्षेत्र बना, तो जदयू के महेश्वर हजारी 2009 में यहां से पहली बार जीते। रामचंद्र पासवान इससे पहले रोसड़ा से 1999 और 2004 में सांसद बने।
इस बार की लड़ाई प्रधानमंत्री मोदी और उनके विरूद्ध हो रही जंग में सिमटी है। वारिसनगर के सुमित हजारी कहते हैं, हमें तो देश के लिए वोट करना है। खेती के काम में जुटे किशन महतो का कहना है कि हम सिर्फ काम पर मतदान करेंगे। किसी की कुछ नहीं सुननी है। हालांकि सामदेव यादव लालू यादव को जेल भेजे जाने से नाराज़ हैं और महागठबंधन को ही वोट करेंगे। हायाघाट और कुशेश्वर विधानसभा क्षेत्रों में लोगबाग जाति के साथ बंटे हुए तो मिले पर युवाओं में देश की खातिर कुछ करने का दम दिखा। कुल 16,36,983 वोटों में यहां ढाई लाख से अधिक पासवान, सवा दो लाख यादव और एक लाख कुशवाहा वोटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले निर्णायक मतदाता हैं। तय है कि पंचपनियां और सवर्णों के वोटों का तड़का इनमें लगने से जीत की गारंटी मिल जाना स्वाभाविक है।
