दरभंगा । अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने सबसे बड़े फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना है. जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया है.
शनिवार सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर पहुंचे. पांच जजों ने लिफाफे में बंद फैसले की कॉपी पर दस्तखत किए और इसके बाद जस्टिस गोगोई ने फैसला पढ़ना शुरू किया.
विवादित जमीन पर रामलला का हक बताते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया. इस ट्रस्ट के पास ही मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी होगी. यानी अब राम मंदिर का निर्माण का रास्ता साफ हो गया है और इस पर अब आगे का काम केंद्र की मोदी सरकार को करना है.
दरभंगा जिले के हायाघाट के जदयू के बागी विधायक अमरनाथ गामी ने मंदिर निर्माण में अपने एक माह का वेतन राम मंदिर निर्माण समिति को देने का वादा किया है।
श्री गामी ने कहा है कि आज सुप्रीम कोर्ट का एतिहासिक फैसला सियासत हारा देश जीता. अब तो रामलला का मंदिर बनना निश्चित.
साथ ही दुनिया का सबसे अच्छा विशाल मस्जिद भारत मे उस पांच एकड़ जमीन पर बने. एक महीना का वेतन मस्जिद निर्माण समिति को भी जायेगा. अल्लाह ईश्वर तेरो नाम सबको सम्मति दे भगवान।
