राज्यसभा चुनाव में लोजपा का प्रत्याशी रहा तो जदयू का समर्थन से रहेगा परहेज

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रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्यसभा सीट पर दोबारा लोजपा के किसी प्रत्याशी की राह अब मुश्किल है। लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान द्वारा चुनाव की अवधि में जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर विष वमन किया गया, उससे लोजपा की राह मुश्किल हो गई है। जदयू ने साफ कर दिया है कि अगर राज्यसभा की सीट के लिए लोजपा से किसी प्रत्याशी का नाम तय होता है तो जदयू द्वारा उसे समर्थन नहीं दिया जाएगा। ïवैसे भी जदयू का लोजपा से किसी तरह का कोई गठबंधन नहीं है।

जदयू के समर्थन के बगैर लोजपा प्रत्याशी की जीत संभव नहीं हो पाएगी। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के सांसद बनने से खाली हुई यह सीट फिर से भाजपा के खाते में चली जाएगी। रविशंकर प्रसाद के सांसद बनने के बाद रामविलास पासवान इस सीट पर गए थे।

जदयू नेताओं का कहना है कि लोजपा के प्रत्याशी होने की स्थिति में समर्थन तो दूर उनके विधायक पांंच प्रस्तावकों तक में शामिल नहीं होंगे। लोजपा के समक्ष संकट यह है कि उसके केवल एक विधायक हैैं। ऐसे में चार प्रस्तावक उसे बाहर से लेने होंगे।

राज्यसभा की इस सीट को लेकर एनडीए में जदयू का स्टैैंड भी कसौटी पर होगा। विधानसभा चुनाव में लोजपा प्रत्याशी की वजह से जदयू को 42 सीटों का नुकसान हुआ। उसके कई मंत्री भी लोजपा प्रत्याशी की वजह से ही चुनाव हार गए। चुनाव परिणाम के बाद जदयू के दिग्गजों ने इस पर सार्वजनिक रूप से अपनी बात कही। जदयू प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह और कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी ने लोजपा के रवैये पर टिप्पणी की। लोजपा को एनडीए से बाहर किए जाने की बात भी मुखर हुई।

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