दरभंगा । पग-पग पोखरि माछ-मखान, मधुर बोल मुस्की मुख पान। ये पंक्तियां दरभंगा की पहचान रही है। मतलब यहां तालाबों की कमी नहीं रही है।
चार दशक पूर्व में जिले में तालाब की संख्या 3924 थी। इसमें 1623 सरकारी व 2301 निजी थे। वर्ष 1964 के सरकारी दस्तावेज में सिर्फ शहर में 364 तालाब थे। वर्त्तमान की हालात किसी से भी छिपी हुई नही है।
शहर के प्रमुख तालाब हराही, दिग्घी और गंगासागर का सौंदर्यीकरण महाराज रुद्र सिंह ने अपने कार्यकाल में किया था। 18 वीं सदी में भी इसका सौंदर्यीकरण रईस हाजी मोहम्मद वाहिद अली खान ने कराया था। इसके बाद कोई पहल नहीं की गई।
वर्ष 1974 में रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र ने तीनों तालाबों को भूमिगत कर पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की। लेकिन, आज तक सर्वे व डीपीआर बनाने से आगे तक का कोई कार्य नहीं किया गया। इस पर लाखों रुपये जरूर खर्च किए गए। वर्ष 1993 तत्कालीन डीएम अमित खरे ने इसके सौंदर्यीकरण का प्रयास किया। तबादले के कारण उनका सपना पूरा नहीं हो सका।

2017 मे एक दैनिक समाचार पत्र ने जब इस खबर को छापा तो विधायक, DM से लेकर नगर निगम के मुख्य अभियंता को इस राशि के बारे में कुछ पता ही नहीं था और किसी ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। तीन साल तक किसी को कुछ नहीं पता लेकिन दरभंगा में इस बात की अफवाह ज़रूर थी की पोखरों के आसपास रेस्टोरेंट बनने वाले है , नौका विहार होगा और भी बहुत कुछ लेकिन हुआ कुछ नहीं!
दरभंगा निवासी व सोशल एक्टिविस्ट श्री धैर्यकान्त मिश्रा ने सोशल मीडिया पर एक नवीनतम कागज़ात सार्वजनिक किया है इस कागज़ात के अनुसार आवंटित राशि में से अठानवे लाख रूपए खर्च हुए हैं।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि वो लाखों रुपए कहाँ खर्च हुए ? क्यूंकि तालाब गंदगी से बजबजा रहा है। इसके अलावा यह जलकुंभी से अटा पड़ा है। तालाब के किनारों पर छुटा जानवर कुत्ते, सुअर, गायों के झुंड जमा रहते हैं और घाटों पर गंदगी फैली रहती है। इससे यहां आने वालों को मायूसी होती है। श्री मिश्रा ने कहा कि बांकी का पैसा खर्च होना था चार साल पहले वो बिहार सरकार अपने मद से क्यों नहीं खर्च पा रही है ? क्या इस राशि के खर्च करने में कोई बड़ा घोटाला हुआ है ? क्या इसपर जांच नहीं होनी चाहिए ? आखिरकार कौन हैं इसके जिम्मेदार..?
सोशल एक्टिविस्ट धैर्यकांत मिश्र ने कहा दरभंगा शहर के लोगों को विधायक संजय सरावगी से ये बात पूछी जानी चाहिए की ये लोग मिथिला का अपमान हमेशा क्यों करते है ? क्यों इसको हमेशा विकास से दूर रखा गया है ? झूठ फ़ैलाने में तीनो का कोई सानी नहीं है और इस बार तो कागज़ है प्रत्यक्ष में ,दरभंगा के हर एक जनता को जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछना चाहिए और वो ये सवाल पूछे , अगर नहीं पूछ सकते तो घर में कोहबर होगा , जाकर निर्गुण गाइये।
हालांकि जिलाधिकारी डा चन्द्रशेखर सिंह ने इसी वर्ष अक्टूबर’2018 में तालाब का निरीक्षण करते हुए कहा कि दिग्घी तालाब का सौंदर्यीकरण कर इसे एक आकर्षक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि सौंदर्यीकरण से संबंधित जितने कार्य अमरुत योजना के अंतर्गत हो सकते हैं उसे अमरूत योजना में लें तथा जो कार्य इसके अन्तर्गत संभव न हो उसके लिये कला संस्कृति विभाग को अलग से प्रस्ताव बना कर भेजें। डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह भी तालाब की सौदर्यीकरण को लेकर प्रयासरत हैं लेकिन अब देखना है कि उनका भी सपना पूरा हो पाता है या नही!
