मिशन 2019: बिहार में कांग्रेस को नहीं मिल रहे प्रत्याशी दमचार, चाहिए उधार के खेवनहार

0

पटना । महागठबंधन में सीटों का बंटवारा अभी बाकी है, किंतु घटक दलों ने अपने हिस्से की संभावित सीटों के लिए दमदार प्रत्याशियों की तलाश शुरू कर दी है। कांग्रेस की बात करें तो उसे संभावित सीटों के लिए दमदार प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। इसलिए दूसरे दलों में भी ताक-झांक शुरू कर दी गई है।

कई छोटे दलों की भीड़ के बावजूद कांग्रेस की दावेदारी कम से कम दर्जन भर सीटों पर है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी राजद ने उसे 12 सीटें दी थी। उस हिसाब से अबकी उसके छह प्रत्याशी तैयार हैं। बाकी छह की दरकार है।

सासाराम, सुपौल, समस्तीपुर, कटिहार, किशनगंज और दरभंगा में कांग्रेस के प्रत्याशी लगभग तय हैं। जिन सीटों पर प्रत्याशियों की तलाश है, उनमें पटना साहिब, औरंगाबाद, हाजीपुर, नालंदा, पूर्णिया, नवादा एवं वाल्मीकिनगर शामिल हैं। उक्त सभी सीटों को संभावित मानकर कांग्रेस तैयारी कर रही है। दमदार प्रत्याशी के लिए दूसरे दलों में भी ताक-झांक जारी है।
दरभंगा सीट के लिए भाजपा के निलंबित सांसद कीर्ति आजाद ने रजामंदी दे दी है। पटना साहिब में भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा की ओर से संकेत मिलने का इंतजार है। पूर्णिया सीट के लिए भाजपा के पूर्व प्रत्याशी उदय सिंह तैयार हैं। नालंदा के लिए भाजपा के एक स्थानीय विधायक से हरी झंडी मिलने का इंतजार है।
वाल्मीकिनगर के लिए फिल्म कलाकार मनोज वाजपेयी को सहमत किया जा रहा है। हाजीपुर सीट कांग्रेस लेने के लिए इच्छुक नहीं है। रामविलास पासवान की बेटी या दामाद अनिल साधु के लिए राजद की ओर से दबाव है। नवादा पर कांग्रेस का दावा है, जहां से अनिल शर्मा, श्याम सुंदर सिंह धीरज और विनोद शर्मा के नाम चलाए जा रहे हैं। खगडिय़ा से लोजपा सांसद महबूब अली कैसर को आमंत्रण दिया जा रहा है।
असरारुल हक के निधन के बाद किशनगंज के लिए प्रत्याशी की तलाश है। असरारुल के भाई राहिद उर रहमान लालू सरकार में मंत्री रह चुके हैं। विधायक डॉ. जावेद पर भी दांव आजमाया जा सकता है। वे कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भी हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में सुपौल से रंजीत रंजन और किशनगंज से मो. असरारूल हक ने बिहार में कांग्रेस की संख्या दो पर पहुंचाई थी। कटिहार से राकांपा के टिकट पर तारिक अनवर सांसद बने थे, जो अब इस्तीफा देकर कांग्रेस के साथ खड़े हैं। सासाराम से लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार का प्रत्याशी बनना तय माना जा रहा है। कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी भी बनाया था। दरभंगा से कीर्ति आजाद को लड़ाया जाना तय है।

दो सीटें ऐसी भी हैं, जिनपर मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस मामूली फासले से हार हो गई थी। समस्तीपुर में अशोक राम और मधुबनी में अब्दुल बारी सिद्दीकी बहुत कम अंतर से हारे थे। अशोक के लिए अबकी माहौल को मुफीद माना जा रहा है।

औरंगाबाद में निखिल कुमार को लेकर संशय है। उम्र के लिहाज से उनका टिकट कट भी सकता है। वहां से अवधेश सिंह ने दावा कर रखा है। तालमेल में फतेह सिंह कुशवाहा के लिए लालू भी मांग रहे हैं। कुशवाहा की हाल में ही राजद में एंट्री हुई है।

(इस लेख के सूत्रधार अरविंद शर्मा हैं। लेखक के विचार पूर्णत: निजी हैं , एवं newsofmithila.in इसमें उल्‍लेखित बातों का न तो समर्थन करता है और न ही इसके पक्ष या विपक्ष में अपनी सहमति जाहिर करता है।)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here