मधुबनी । स्थानीय टाउन क्लब मैदान रविवार को महिला सशक्तीकरण का गवाह बना। अवसर था सखी बहिनपा ग्रुप के मिथिला संस्कृति उत्सव का। मंच पर विराजमान विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं के समूह व उपस्थित हजारों की संख्या में महिलाओं में मिथिला संस्कृत को बचाने के लिए इस कार्यक्रम ने लोगों में कुछ करने का जोश भर दिया।
संस्थापक आरती झा ने कहा कि मात्र चार साल में इस ग्रुप के सदस्यों की संख्या 25 हजार तक पहुंच गई है। यह धरती सीता, गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूईया, भारती जैसी विदूषी ने ना केवल अपनी विद्वता से संपोषित किया, इसकी संस्कृति को नई दिशा दी। मगर, वर्तमान में मिथिला की नारी की जो दुर्दशा है वह अकथनीय है। इस पर हम महिलाओं को आगे आना होगा। तभी हम महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा।
वक्ताओं ने कहा कि जागरूकता आने से यहां के महिलाओं की स्थिति में सुधार होना शुरू हो गया है। महिलाएं परिवेश व परिवार को बदलाव की दिशा में ले जा रहीं हैं। बेटा हो या बेटी दोनों के साथ एक समान व्यवहार करना होगा। जिस तरह से महिलाएं यहां भारी संख्या में उपस्थित हुई हैं वह महिला जागरण की मिशाल है। कहा गया कि मिथिलाक्षर लुप्त होने के कगार पर है। इस दिशा में सिद्धिरस्तु संस्था द्वारा संचालित मिशन मिथिलाक्षर लिपि के पाठशाला के माध्यम से सीखाने के लिए अग्रसर हुईं है वह शुभ संकेत है। समय आ गया है कि इसे हम महिलाएं और मजबूत बनाएं।
