दरभंगा । दुर्गा मंदिरों का पट खुलते ही शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में आस्था का जनसैलाब उमड़ने लगा है। मंदिरों में अनवरत रूप से दुर्गा सप्तशती का पाठ चल रहा है। धूमन, गुगूल और सरर जलाने से वातावरण सुगंधित हो रहा है। वहीं दर्शनार्थियों की भीड़ मंदिरों पर पहुंच कर मां की पूजा-अर्चना में जुटी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में अनेकों जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम के भी आयोजन किये गये हैं। इसके साथ ही पारंपरिक लोक गाथाओं का मंचन भी हो रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के सभी पूजा स्थलों पर बाजार सज गये हैं। जहां खरीदारी को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। सबसे बड़ी बात है कि उत्साह और आस्था महंगाई पर भारी पड़ रहा है। वैसे तो सभी जगहों पर भीड़ देखी जा रही है, लेकिन सिद्धपीठ के रूप में चिंह्नित मंदिरों में खासकर शहर के श्यामा मंदिर, काली स्थान, मनीगाछी प्रखंड के भंडारीसम गांव स्थित वाणेश्वरी स्थान, बेनीपुर के नवादा गांव स्थित भगवती स्थान गौड़ाबौराम प्रखंड के कसरौर स्थित ज्वालामुखी भगवती स्थान में दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं। आज से ही मंदिरों के अलावे अन्य पूजा स्थानों में छागर बलि का कार्य भी शुरू हो गया है, जो तीन दिनों तक चलेगा। ऐसे भी दुर्गा स्थान हैं, जो वैष्णवी है। जहां छागर का बलि नहीं चढ़ता है। उन जगहों पर कुम्हड़ा का बलि पड़ता है। जैसे सदर प्रखंड के भालपट्टी गांव में पूजा के शुरूआत से ही इस स्थान को वैष्णवी घोषित कर दिया गया था। वैसे तो सजावट और बिजली की चकाचौंध की बात करें, तो शहरी क्षेत्र में पंडाल और बिजली की सजावट में विशेष ध्यान दी गई है पर ग्रामीण क्षेत्रों में पंडाल पर व्यय नहीं किया गया है पर पूजा पूरे विधि-विधान से चल रहा है। सप्तमी के दिन ही अष्टमी तिथि पा जाने के कारण निशा पूजा मंगलवार की रात ही संपन्न होगी। जिसकी तैयारी में भक्त जुट गये हैं। वैसे ये तो रही आम लोगों की बात, लेकिन राजनीतिक पूजा के इस मौके के भी अपने पक्ष में मोड़ने के लिए पीछे नहीं रहे हैं। लोकसभा चुनाव में अपने को प्रत्याशी के रूप में स्थापित करने एवं जनता से सम्पर्क साधने में किसी भी दल के लोग पीछे नही हैं। कई दलों में तो 3 से 4 संभावित प्रत्याशी तो कई में 2, तो कई में सिर्फ 1 नेता कलशस्थान के दिन से ही पूजा पंडालों का खाक छान रहे हैं। वैसे लोगों के लिए यह कतुहल ही है। चूंकि अभी चुनाव बहुत दूर है और पूजा भी सप्तमी के दिन से ही विधिवत रूप से शुरू होता है, लेकिन पहले दिन से ही राजनीतिक दल के लोग पूजा स्थलों पर पहुंच रहे थे।
