न्यूज ऑफ मिथिला, डेस्क (धैर्यकांत मिश्रा) । प्रशांत किशोर ने कहा है की दस साल में वो बिहार का विकास कर देंगे और इतना ही नहीं वो बिहार को दस सबसे बेहतरीन राज्यों की लिस्ट में लाकर खड़ा कर देंगे।
बिहार में दिक्कत है की सब लोग फ्यूचर इम्परफेक्ट टेंस में ही बात करते है लेकिन कोई भी आज तक एक टाइमबाउंड ब्लूप्रिंट लेकर नहीं आया , सब आये और बस लालू को गरियाते गरियाते सत्ता का मजा लेते रहे है।
लालू ,नितीश के लिए वही है जो मोदी जी के लिए नेहरू है , भर दिन गरियाये और फिर सो गए। लालू ने जो बंटाधार किया उसकी सजा उसको मिली , सत्ता से तो बाहर रहे ही , अब जेल में अपने मरने का इन्तजार कर रहे है लेकिन बीते पंद्रह साल का हिसाब कौन और कैसे देगा , इसपर बहस की जरुरत आन पड़ी है।
प्रशांत किशोर नए है , नित्य कोई न कोई शगूफा छोड़ते रहते है लेकिन ये नहीं बताते की नितीश जी पंद्रह साल में एक भी इंडस्ट्री क्यों नहीं ला पाए ? क्यों शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो गयी की हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट सब सरकार को आय-दिन पानी पी पी कर गरिया रहे है ? क्यों कृषि से लेकर न्याय व्यवस्था सब चौपट होती जा रही है ? बेरोजगारी में हम टॉप पंद्रह में आते है , इसपर प्रशांत किशोर कुछ नहीं बोलते , उनका मकसद है बस चुनाव जीतना , बस चुनाव चाहे कोई भी और कैसे भी हो।
प्रशांत किशोर ने टीम PK बनायी है जिसमे वो एक लाख नए युवाओ को जोड़ेंगे जिनको वो आने वाले चुनावों के मद्देनज़र रखते हुए ट्रेनिंग देंगे लेकिन अभी से ही वो कैसी राजनीति कर रहे है , वो किसी से छुपी नहीं है। एक लाख को जोड़ने के बजाय अगर अभी के हिसाब से उनके रोजगार या हो रहे पलायन के बारे में सोंचते तो एक अच्छा सन्देश जाता।
छात्र-चुनाव का मौसम फिर से बागो में है , पटना विश्वविद्यालय में जिस तरह से पूरा प्रकरण हुआ वो कोई अच्छा सन्देश नहीं है , ये तो वही ढर्रा है जिसपे पचास सालो से राजनीति हो रही है , प्रशांत किशोर इसमें क्या नया कर रहे है?
पैसा और पावर तो मेरी मेड के पास आ जाए तो वो भी दिन में चार बार मुझे दर्शन और जेंडर डिस्क्रिमिनेशन पे भाषण दे देगी और मुझे वो अच्छी भी लगने लगेंगी क्यूंकि उसके पास पैसा और पावर , दोनों है। इसलिए PK जी ज्ञान कम बांटे , ओवरफ्लो हो रहा है अब
पटना के बाद LNMU में बवाल हुआ पड़ा है , मैं ये सब देख के पागल हो जाता हूँ की एक अदना सा विश्वविद्यालय अध्यक्ष एक साल में ऐसा क्या कर लेगा और ऐसी कौन सी दिव्य शक्ति पा लेगा की सब पागल बने पड़े है इन्क्लूडिंग प्रशांत किशोर भी।
इतने दिन से मृत पड़ी दरभंगा के छात्र संघो में अचानक से आया जोश अच्छा है लेकिन उसकी वजह MSU है और ये बात आपको माननी होगी की विगत वर्षो में जिस तरह MSU आक्रामक हुई है उसने कई राजनैतिक और गैर राजनैतिक संस्थाओ के माथे पे पसीने ला दिए है।
इतने छात्र संघो के होने के बावजूद एक संगठन दिल्ली से अपना सफर शुरू करके सीधे मिथिला में अपना किला बना लेता है और सब ऐसे ही देखते रह जाते है , सोंचा है कैसे ? संस्था में दस खामिया हो सकती है लेकिन क्या इस बात को झुठलाया जा सकता है की पूरे बिहार में अभी MSU से ज्यादा कोई ताकतवर छात्र संगठन है ? नहीं है !
युवा जदयू को अचानक से सब कुछ चाहिए लेकिन जो संगठन इतने साल से तैयारी में लगा हुआ है अगर उसको इस तरह से पावर और पैसे से परेशान किया जाएगा तो उसका उग्र होना लाजमी है।
प्रशांत किशोर को छात्र संघ के चुनाव और जनरल इलेक्शन में फर्क समझना चाहिए , इस तरह से अगर होता रहा है तो आप एक ऐसा छात्र संघ देखंगे जिसमे कोई किसी की हत्या करने से भी गुरेज नहीं करेगा , ये सब बंद होना चाहिए।
MSU के पास कोई राजनैतिक समर्थन नहीं है और न पैसा है , फिर भी वो हर कॉलेज में जीत रही है , प्रशांत किशोर इसके बारे में सोंचे और अपने युवाओ को समझाए , ज्यादा बेहतर रहेगा।
दरभंगा के सर्किट हाउस में जो हुआ सो हुआ , MSU को चाहिए की वो अपने कार्यकर्ता को कण्ट्रोल में रखे , अनाप शनाप लिख या बोल देने से कोई काबिल नहीं बन जाता है , संवाद का रास्ता न त्यागे क्यूंकि जो MSU आज है उसको ऐसा बनाने में बहुत लोगो ने बहुत कुछ खोया है , उसका सम्मान करे , बांकी तो सब है ही।
रिजल्ट के बाद तो पार्टी होगी ही ब्रो और प्रशांत किशोर के घर के सामने ही होगी।
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