दरभंगा । मैथिली साहित्य जगत को अपनी समकालीन कविताओं के माध्यम से समृद्ध करने वाले कवि हरे कृष्ण झा का 70 वर्ष की आयु में गुरुवार को निधन हो गया. उनके निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान परिवार ने शोक संवेदना व्यक्त की है.
संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने उन्हें मैथिली साहित्य जगत का शिखर पुरुष बताते हुए कहा है कि उनके निधन से मैथिली कविता जगत के एक युग का अवसान हो गया. मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष कमलाकांत झा ने कहा है कि मैथिली भाषा के विकास में गहरी रुचि रखने वाले वे सशक्त हस्ताक्षर थे. वरिष्ठ मैथिली कवि एवं भारत निर्वाचन आयोग के जिला आइकॉन मणिकांत झा ने उनके निधन को मैथिली साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति बताया.
कहा कि उनके काव्य में वैचारिक जनपक्षता स्पष्ट रुप से झलकती है. प्रवक्ता प्रवीण कुमार झा ने उन्हें राजकमल चौधरी व बैद्यनाथ मिश्र यात्री के बाद समकालीन मैथिली काव्य-धारा को अपने वैचारिक दृष्टि से नई ऊंचाई देने वाला अनूठा कवि बताया. संवेदना व्यक्त करने वाले अन्य लोगों में जीव कांत मिश्र, विनोद कुमार झा, चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, विजय कांत झा, डॉ गणेश कांत झा, डॉ रमेश झा आदि शामिल है.
