न्यूज़ ऑफ मिथिला डेस्क :
ट्विटर पर टॉप ट्रेंड हो रहा है #MithilaCalling, मिथिला के युवाओं ने दिया एकजुटता का परिचय।
मिथिला के युवाओ के द्वारा मैथिल युवा के एकता हेतु रविवार सुबह 11 बजे से ट्विटर पर एक अभियान छेड़ा गया हैशटैग मिथिला कॉलिंग #MithilaCalling. कुछ घँटों से यह ट्विटर पर टॉप ट्रेंड कर रहा है।
ट्विटर ट्रेंड के अभियानी ने बताया कि : इस ट्रेंड का मुख्य उद्देश्य आपसी एकता व सामंजस्यता का परिचय देना है। इस ट्रेंड का नाम #MithilaCalling इसीलिए दिया गया है कि बिहार में आज भी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है जिस कारण भारी संख्या में लोग बिहार से पलायन करते हैं। बिहार में सबसे अधिक पलायन रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए होता है। रोज़गार इनमें सबसे ऊपर है। दिल्ली मुंबई, सूरत, ऐसे ही देश के कई हिस्सों में बिहार से आकर बड़ी आबादी बस गई है। किसी तरह से उन्हें हर राज्य में रहने और काम करने के लिए जूझना पड़ता है। कभी मुंबई में मराठी अस्मिता के नाम पर पीटा जाता है तो कभी सूरत में हिंदी भाषी होने के कारण उन्हें मारकर भगाया जाता है। दिल्ली जैसे कई शहरों में तो बिहारी को एक गाली की तरह प्रयोग किया जाता रहा है। लोग पलायन क्यों करते हैं या उन्हें पलायन क्यों करना पड़ता है, वास्तव में यह चुनाव का मुद्दा होना चाहिए।
बिहार में रोजगार के नाम पर सबसे अधिक लोग सेवा के क्षेत्र में 73% हैं। उसके बाद कृषि में 22% और उद्योग में केवल 5% लोग काम कर रहे हैं। इसका एक कारण है सन् 90 के दशक के बाद से बिहार में कोई भी नया उद्योग नहीं लगा। नए उद्योग की तो बात छोड़िए जो थे वो भी बड़ी तेज़ी से बंद हो गए हैं। चाहे वो सकरी की चीनी मिल हो, दरभंगा की अशोक पेपर मिल या बेगूसराय के आसपास के कई उद्योग। यही वजह है कि रोजगार की तलाश में बिहार का नौजवान देश के विभिन्न राज्यों में जा रहा है। ऐसा नहीं है बिहार का नौजवान मेहनती नहीं है या वो कुशल नहीं है। वो मेहनती भी है और कुशल भी, लेकिन उसके लिए बिहार में मौके नहीं हैं। बिहार के प्रवासियों का यही कहना है कि हम बाहर जाकर रह रहे हैं अगर हमें बिहार में ही काम मिले तो हम अपना घर छोडकर हज़ारों किलोमीटर क्यों आएंगे?
#MithilaCalling Trend में calling के मद्देनजर पलायन कर रहे लोगो को यहाँ अधौगिकीकरण एवं अन्य माध्यम से रोजगार जागृत हो एवं यहाँ के लोगो को यहां रोजगार मिले इस हेतु एकजुटता का प्रदर्शन किया। इस अभियान में अनूप मैथिल ,विकास विभात्सनाभ , प्रवीण झा, आदित्य मोहन , अनुपम झा , रजनीश प्रियदर्शी, विद्या भूषण राय , रौशन मैथिल ,अनूप झा ,विजयदेव झा समेत कई मिथिलावासीयों ने फेसबुक के माध्यम से लोगों को इस ट्रेंड में भाग लेने की अपील की है। पूर्व क्रिकेटर व दरभंगा के पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने मिथिलावासियों के समर्थन में ट्वीट करते हुए लिखा है कि कि त्रेता युग के समय से ही मिथिला राज का गौरवशाली अस्तित्व रहा है। राजा जनक न्याय, दर्शन और त्याग के लिए जाने जाते थे। जगत जननी सीता को मिथिला राज्य की धरोहर और संस्कृति का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि मिथिला की संस्कृति, गौरव, कला और मर्यादा की विश्व में अलग पहचान थी। मिथिला एक राज्य था। उसकी अपनी भाषा थी। मिथिला राज्य के लिए लड़ो।
