नई दिल्ली । बिहार में मिथिलांचल की तीन लोकसभा सीटों मधुबनी, झंझारपुर और दरभंगा में झंझारपुर का सियासी इतिहास काफी रोचक रहा है. झंझारपुर की राजनीति में श्यामनंदन मिश्र, भोगेंद्र झा, जगन्नाथ मिश्रा, धनिक लाल मंडल एवं गौरीशंकर राजहंस जैसे नेता सक्रिय रहे हैं. झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र के मौजूदा सांसद बीरेंद्र कुमार चौधरी बीजेपी से हैं. 2014 के चुनाव में बिहार की झंझारपुर लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं के आंकड़े पर गौर करें तो वह 16 लाख 68 हजार 405 था. इसके साथ ही इस लोकसभा सीट पर 19 उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए आपस में टकराये थे. जिसमें भाजपा के उम्मीदवार बीरेंद्र कुमार चौधरी ने बाजी मारते हुए 3 लाख 35 हजार 481 वोटों से शानदार जीत दर्ज की थी. वहीं इस चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे आरजेडी के कैंडिडेट मंगनी लाल मंडल को 2 लाख 80 हजार 73 वोटों से संतुष्ट होना पड़ा. दूसरी ओर जनता दल यूनाइटेड के प्रत्याशी देवेंद्र प्रसाद यादव 1 लाख 83 हजार 591 वोट और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार मणीलाल साहु को 14 हजार 190 वोट ही मिल सके.
गौरतलब हो कि पिछडा और अतिपिछड़ा जाति के नेताओं में सुमार बीरेंद्र कुमार चौधरी जब भाजपा के सीटिंग सांसद रूप में मिल रहे हैं तो भाजपा इस मौके को किसी भी हालात में छोड़ना नहीं चाहेगी और वैसे भी बीजेपी के पास मिथिला में सांसद के रूप में पिछड़ा-अतिपिछड़ा चेहरे का अभाव है. इसमें वीरेन्द्र कुमार चौधरी सबसे मजबूत दावेदार माने जाते है. इनकी शानदार जीत और क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे सक्रियता व इनकी कार्यशैली से बीजेपी काफ़ी प्रसन्न है और एनडीए से श्री चौधरी का झंझारपुर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ना लगभग तय है.
बता दें कि 4 मई 1953 को जन्में बीरेंद्र कुमार चौधरी शिक्षित जनप्रतिनिधियों में गिने जाते हैं. उन्होंने एमए, एलएलबी किया हुआ है. संसद में उनकी उपस्थिति 97 फीसदी है. विभिन्न मुद्दों पर 38 बहसों में उन्होंने हिस्सा लिया. उन्होंने 33 सवाल पूछे. अपने सांसद निधि के 87 फीसदी फंड का उन्होंने इस्तेमाल किया. 51 लाख की संपत्ति की घोषणा उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में किया है. उद्योग मामलों की संसदीय समिति, सड़क-परिवहन और हाईवे-जहाजरानी मंत्रालय की सलाहकार समितियों के भी वे सदस्य रह चुके हैं.
झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र से पिछड़ी व अतिपिछड़ी जातियां जीत के लिए निर्णायक के भूमिका में हैं इसलिए 2019 का चुनाव झंझारपुर के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है. जनता किसे झंझारपुर का सांसद बनाती है यह तो भविष्य के गर्भ में है..? 2019 के चुनाव बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.
