दरभंगा। चुनौतियों का सक्षमता से सामना करने में हमारा विज्ञान पूर्णतया समक्ष है और कोविड-19 का उपचार भी विज्ञान ढ़ूंढ़ लेगा। लेकिन, मानवों को सर्तक होकर पर्यावरण के अनुकूल जीवन यापन करना होगा। तभी कोरोना जैसी महामारी पुन: उत्पन्न नहीं होगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि पर्यावरण के अत्यधिक दोहन के परिणामस्वरूप ही कोविड-19 का प्रकोप मानवों को झेलना पड़ रहा है। पैसे की होड़ में लोग प्रकृति का सत्यानाश करने पर तुले हुए हैं जो संसार के लिए अंतत: घातक साबित होगा। उपरोक्त बातें प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. मानस बिहारी वर्मा ने कोविड-19 महामारी उपरांत वैज्ञानिक अनुसंधान एवं आविष्कार विषयक वेबिनार को संबोधित करते हुए कही। राजीव गांधी विश्वविद्यालय और डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित वेबिनार में उन्होंने बताया कि प्रकृति का दोहन रोकना हमारी प्राथमिकता में होना चाहिए, तभी कोरोना जैसी महामारी फिर से पैदा नहीं होगी। विज्ञान की प्रगति इस संकट की घड़ी गुजर जाने के बाद भी जारी रहेगी। ज्ञान-अर्जन मानव का स्वाभाविक गुण है, इसलिए विज्ञान का मानव हित में चितंन और बेहतरीन होकर उभरेगा। वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए राजीव गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. साकेत कुशवाहा ने कहा कि संकट की घड़ी में सीमित संसाधनों में भी अनुसंधान करना वैज्ञानिकों का दायित्व है। कभी संसाधनों के अभाव में हमारी वैज्ञानिक गतिविधियां प्रभावित नहीं हुई है। कोरोना महामारी के प्रभाव से भी विज्ञान अछूता रहेगा और अनुसंधान जारी रहेगें। इस वेबिनार को सेट्रल विवि, गुजरात के प्रो. आरएस दूबे एवं राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रो. विनोद कुमार ने भी संबोधित कर महामारी काल में विज्ञान की महत्ता को रेखांकित किया। अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के प्रो. अविनाश चंद्र वर्मा ने किया।
